दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा श्रीमद् भागवत कथा के अष्टम दिवस का आयोजन विधिवत पूजन के साथ हुआ
कथा व्यास साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण जी ने अनेकों शिक्षाएं दी लेकिन हमने उनको अपने जीवन का सिद्धांत नहीं बनाया इसीलिए गौमाता की दुर्दशा आज देखने को मिल रही है
साध्वी जी ने बताया कि द्वापर में तो एक कंस था और भगवान श्री कृष्ण ने उसका वध किया लेकिन आज मानव कंस की भूमिका बड़ी सहजता से निभा रहे हैं प्रत्येक व्यक्ति का मन काम क्रोध लोभ मोह रूपी विकारों की आग में झुलस रहा है लेकिन जरूरत है ऐसे गुरु की जो हमारे बुरे मन रूपी कंस को मारकर हमारे जीवन में धर्म की स्थापना कर सके
फिरोजपुर 07 अप्रैल [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस का शुभारम्भ विधिवत पूजन से हुआ जिसमें बाबू लाल अरोड़ा (प्रधान श्री अरोड़वंश वैलफेयर सोसायटी) एवं सौरभ गुप्ता ने परिवार सहित हिस्सा लिया। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने जीवन काल में हमें अनेकों शिक्षाएं दीं।आज हम भगवान श्री कृष्ण के भक्त तो कहलाते हैं, लेकिन क्या उनके सिद्धांतों को, शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण किया? यदि उनके सिद्धांतों को हमने धारण किया होता तो आज हमारे देश में गौ मां की स्थिति बहुत ही अच्छी होती। वह भारत देश जहां ‘विप्र धेनु सुर संत हित’ भगवान समय-समय पर अवतार धारण करते हैं, उस भारत में आज गाय की इतनी अवहेलना क्यों? इसके पीछे एक ही कारण है कि हम गौ मां की महानता को अभी तक जान ही नहीं पाए। इसलिए आवश्यकता है अपनी गौ संस्कृति को जानने की क्योंकि हमारी गौ संस्कृति दुनिया की श्रेष्ठ संस्कृति है, सबसे महान संस्कृति है।
संस्थान के बारे में बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गौ मां के संवर्धन व संरक्षण के लिए सराहनीय कदम उठाएं जा रहे हैं। जिसके तहत कामधेनु नाम का एक सामाजिक प्रकल्प चलाया जा रहा है। इस प्रकल्प के अंतर्गत बहुत सी गौशालाओं में भारत की सर्वश्रेष्ठ देसी नस्ल की गौओं का संरक्षण संवर्धन व नस्ल सुधार कार्यक्रम किया जा रहा है।
आगे कंस वध प्रसंग सुनाते हुए साध्वी जी ने बताया कि द्वापर युग में तो एक कंस था, जिसका वध भगवान श्री कृष्ण जी ने किया। किंतु आज मन के पीछे लगे अधिकतर मानव कंस की भूमिका बड़ी सहजता से निभा रहे हैं। इस घोर कलिकाल में आज प्रत्येक व्यक्ति का मन काम, क्रोध, लोभ, मोह रूपी विकारों की आग में झुलस रहा है। इसलिए आवश्यकता है भगवान श्री कृष्ण जैसे गुरु की, जो हमारे बुरे मन रूपी कंस को मार कर हमारे जीवन में धर्म की स्थापना कर सकें। धर्म का अर्थ बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि धर्म संस्कृत की धृ धातु से निकला है, जिसका अर्थ है धारण करना। उस ईश्वर को जब प्रत्येक मानव ब्रह्मज्ञान के द्वारा अपने अंतःकरण में धारण करेगा तो हमारे समाज में स्वत: शांति व आनंद की लहर दौड़ उठेगी। इसलिए ब्रह्मज्ञान से जुडें। कथा में पूर्व सांसद शेर सिंह घुबाया, जिला प्रधान भाजपा राकेश धूड़िया, तहसीलदार सुखदेव कुमार बांगड़, एडवोकेट महिंदर धींगड़ा, अनिल सेठी, अश्वनी सपड़ा, विजय बजाज, असीम जुनेजा, जनकराज गिरधर, कुलवंत राय बजाज,अनु धूड़िया, डॉ पंकज वर्मा,डॉ मुक्ति वर्मा, अशोक जैरथ और सचिन सचदेवा ने दीप प्रज्ज्वलित कर प्रभु का आर्शीवाद प्राप्त किया। कथा में पहुंचे सभी गणमान्य जनों ने संस्थान द्वारा आयोजित कथा की भव्यता की प्रशंसा की। पावन आरती में विजय रहेजा, एडवोकेट दीपक कटारिया, अजय कालड़ा, केवल चावला, एडवोकेट ऋषिकांत अरोड़ा, नीरज कालड़ा, विनेश कालड़ा, रिंकू झांब, सुनील सेठी, संदीप कटारिया, नरेश सचदेवा आदि ने हिस्सा लिया।प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं कथा को श्रवण कर लाभान्वित हो रहे हैं।