किडनी को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम व खान-पान पर नियंत्रण जरूरी : डॉ. अनेजा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केन्द्र में विश्व किडनी दिवस के अवसर पर किया जागरूक।
कुरुक्षेत्र, 12 मार्च :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केन्द्र विभाग के मेडिकल ऑफिसर, गैपियो एवं आरएसएसडीआई मेम्बर डॉ. आशीष अनेजा के द्वारा विश्व किडनी दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक किया गया। डॉ. आशीष ने कहा कि यदि लोग समय पर अपने ब्लडप्रेशर और शुगर की जांच कराते रहें व संतुलित आहार का प्रयोग करें तो किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है। प्रायः देखा जा रहा है कि जीवन की इस भाग दौड़ में लोग लाइफस्टाइल और खान-पान के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं उनके पास योगा और मेडिटेशन के लिए समय नहीं है वहीं दूसरी ओर खानपान में फास्ट फूड का प्रयोग ज्यादा किया जा रहा है परिणामस्वरूप लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।
डॉ. अनेजा ने बताया गया कि किडनी के कई रोग बहुत गंभीर होते हैं और यदि इनका समय पर इलाज नहीं किया गया तो उपचार असरकारक नहीं होता। विकासशील देशों में उच्च लागत, संभावित समस्याओं और उपयोगिता की कमी के कारण किडनी फेल्योर से पीड़ित सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत मरीज ही डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण का उपचार करवा पाते हैं बाकी मरीज सामान्य उपचार पर बाध्य होते हैं, जिससे उन्हें अल्पावधि में ही विषमताओं का सामना करना पड़ता है। क्रॉनिक किडनी फैलियर जैसे रोग जो ठीक नहीं हो सकते हैं उनका अंतिम चरण का उपचार जैसे डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण बहुत महंगा है और यह सुविधा हर जगह उपलब्ध भी नहीं होती। इसीलिए ईलाज से बेहतर रोकथाम की ओर का अनुसरण बहुत जरूरी है।
डॉ. अनेजा ने बताया कि गुर्दा खराब होने के शुरुआती चरण में कोई भी लक्षण सामने नहीं आता लेकिन जब यह बीमारी पूरी तरह से बढ़ जाती है, तो इसके दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। फिर भी इसके कुछ लक्षणों जैसे मूत्र में रक्त आना, मूत्र का रंग गहरा होना, या फिर मूत्र की मात्रा में कमी होना, थकान, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा, त्वचा में लगातार खुजली होना, भूख कम लगना या फिर जल्दी जल्दी पेशाब होना इत्यादि से रोग की पहचान की जा सकती है, जिसके कारण कई बार किडनी फेल भी हो जाती है।
उन्होंने बताया कि अगर किडनी को स्वस्थ रखना है तो इसके लिए नियमित रूप से व्यायाम करना, खान-पान पर नियंत्रण और अपने वजन को नियंत्रण करना बहुत जरूरी है इसके अतिरिक्त यदि डायरिया, उल्टी, बुखार आदि की शिकायत हो तो मरीज को तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए वहीं दूसरी ओर धूम्रपान या तंबाकू जैसे उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह किडनी के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। डॉ. आशीष अनेजा ने कहा कि वह इस तरह के सुझाव हमेशा ही लोगों को देते रहते हैं और आगे भी लोगों को देते रहेंगे जिससे वह अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें।