कृषि विशेषज्ञों की किसानों को राय, जून जुलाई में किसान अरबी की खेती से उठा सकते हैं लाभ

कृषि विशेषज्ञों की किसानों को राय, जून जुलाई में किसान अरबी की खेती से उठा सकते हैं लाभ।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह ने बताई किसानों को अरबी की खेती की विधि।

कुरुक्षेत्र, 5 जून : कृषि विशेषज्ञों के अनुसार किसान मौसम के अनुसार विभिन्न फसलों से लाभ उठा सकते हैं। आजकल विभिन्न सब्जी की फसलों के साथ अरबी के लिए भी अच्छा समय है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अरबी की फसल में अरबी के कंद के साथ इसके पत्तों का भी उपयोग किया जाता है। इसलिए इसकी खेती से किसानों को बहुत लाभ होता है। अरबी के कंद का उपयोग सब्जी व आचार इत्यादि के लिए किया जाता है। वहीं इसकी पत्तियों से पकौड़े और साग बनाए जाते हैं।
कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह ने अरबी की खेती से जुड़ी जानकारियां देते हुए बताया कि अरबी की बेहतर फसल के लिए गर्म एवं नमी वाली जलवायु की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि अधिक गर्म एवं सूखे मौसम का पैदावार पर प्रतिकूल असर होता है। मिट्टी का पी.एच स्तर 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
डा. सिंह ने बताया कि अरबी की रोपाई जून से जुलाई में की जाती है। उत्तर भारत में फरवरी – मार्च महीने में भी इसकी रोपाई होती है। उन्होंने बताया कि किसान रोपाई से पहले प्रति किलोग्राम कंद 5 ग्राम रिडोमिल एम जेड-72 में 10 से 15 मिनट डूबा कर उपचारित करना चाहिए। सबसे पहले खेत में मिट्टी पलटने वाली हल से एक बार गहरी जुताई करें। इसके बाद 3 से 4 बार हल्की जुताई कर खेत की मिट्टी को भुरभुरी बना लें। जमीन की सतह से 10 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां बनाएं। सभी क्यारियों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी रखें। डा. सिंह ने बताया कि क्यारियों पर 45 सेंटीमीटर की दूरी और 5 सेंटीमीटर की गहराई में कंदों की रोपाई करें। उन्होंने बताया कि किसान खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 40 से 60 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। प्रति एकड़ जमीन में 16 किलोग्राम नाइट्रोजन, 25 किलोग्राम फॉस्फोरस और 25 किलोग्राम पोटाश मिलाएं। खड़ी फसल में 16 किलोग्राम नाइट्रोजन का छिड़काव करें। डा. सिंह ने सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण के बारे में बताया कि रोपाई के बाद 5 महीने तक हर 7 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
वर्षा न होने पर 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। निराई – गुड़ाई के माध्यम से खरपतवारों पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि विभिन्न किस्मों के अनुसार फसल को तैयार होने में 150 से 225 दिनों का समय लगता है। कंद की रोपाई के करीब 40-50 दिन बाद पत्तियों की कटाई कर सकते हैं। पत्तियां आकार में छोटी और पीली हो कर सूखने लगे तब इसकी खुदाई कर लेनी चाहिए।
खेतों में जानकारी देते हुए कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह।

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