गुप्त नवरात्र के चौथे दिन हुई मां कुष्मांडा स्वरूप की आराधना।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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मां कुष्मांडा देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी : महंत जगन्नाथ पुरी।
मां कुष्मांडा देवी की शरण में मिलती है हर कष्ट से मुक्ति।
श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर में गुप्त नवरात्र पूजन चल रहा है।
कुरुक्षेत्र, 22 जून : अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी के सान्निध्य में श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में गुप्त नवरात्रों के अवसर पर नियमित हवन यज्ञ एवं पूजन किया जा रहा है।
गुप्त नवरात्रों के चौथे दिन भी बारह ज्योतिर्लिंगों पर अनुष्ठान के बाद लाई गई मां भगवती की अखंड ज्योति पर मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया गया। महंत जगन्नाथ पुरी ने संतों के साथ अखंड ज्योति पर पूजन उपरांत बताया कि नवरात्र का चौथा दिन मां कुष्मांडा की आराधना का दिन होता है। देवी कुष्मांडा ने ही इस संसार की रचना की थी।
उन्होंने बताया कि नवरात्रों में प्रत्येक दिन शक्तिदात्री के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। देवी कुष्मांडा को सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि जब दुनिया नहीं थी तब हर ओर अंधेरा व्याप्त था, तब देवी मां ने ही अपनी मंद-मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। जिसके बाद से ही इन्हें देवी कुष्मांडा कहा गया है। मां कुष्मांडा अत्यंत ही तेजस्वी देवी हैं। उनकी अष्ट भुजाएं हैं। कमंडल, धनुष बाण, कमल पुष्प, अमृत कलश, चक्र एवं गदा अपनी भुजाओं में धारण किए हुए हैं और सिंह पर सवार हैं। मां कुष्मांडा सात्विक बलि से अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि देवी की आराधना करने से समस्त कष्टों से निवृत्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा ही हैं। मां का यह रूप पूरे ब्रह्मांड में शक्तियों को जागृत करने वाला है।
महंत जगन्नाथ पुरी पूजन करते हुए।