गुप्त नवरात्र में मां कात्यायनी देवी को प्रसन्न करने से होती है हर मनोकामना पूर्ण: महंत जगन्नाथ पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर में गुप्त नवरात्र के छठे दिन हुई मां कात्यायनी देवी की पूजा।
कुरुक्षेत्र, 24 जून : मारकंडा नदी के तट पर श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में गुप्त नवरात्र के अवसर पर सर्व कल्याण एवं विश्व शांति के लिए निरंतर मां दुर्गा शक्ति की आराधना एवं पूजा चल रही है।
अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी एवं संतों के सान्निध्य में बारह ज्योतिर्लिंगों पर अनुष्ठान के बाद लाई गई मां भगवती की अखंड ज्योति पर मंत्रोच्चारण के साथ विद्वान ब्राह्मणों द्वारा छठे दिन मां कात्यायनी देवी स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि मां भगवती के विभिन्न स्वरूपों में मां कात्यायनी स्वरूप का पसंदीदा रंग लाल रंग है। मां के कात्यायनी देवी स्वरूप को शहद बहुत प्रिय है। इस दिन भोग के रुप में माता रानी को शहद अर्पित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है। मां कात्यायनी चार हाथों वाली हैं जो कि सिंह पर सवार होती हैं। दो हाथों में वो खड्ग (लंबी तलवार) और फूल कमल धारण करती हैं। दूसरे हाथ अभय मुद्रा और वरद मुद्रा में हैं।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि गुप्त नवरात्रों में मां भगवती की अर्चना करने से पूजा का कई गुना फल मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि कात्यायन की कोई संतान नहीं थी। वह मां दुर्गा के परम भक्त थे। उन्होंने मां की आराधना करते हुए कठोर तपस्या की। अंत में मां अपने इस भक्त पर प्रसन्न हुईं और कुछ समय बाद ही कात्यायन के घर मां दुर्गा ने पुत्री के रूप में जन्म लिया, इसके बाद से ही उन्हें देवी कात्यायनी कहा जाने लगा। इस अवसर पर स्वामी स्वामी संतोषानंद, बिल्लू पुजारी, कपिल भारद्वाज, सुक्खा सिंह, नाजर सिंह, कविता शर्मा, प्रमिला इत्यादि मौजूद रहे।
महंत जगन्नाथ पुरी नवरात्र पूजन का महत्व बताते हुए।