भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए जीवन के पांच रहस्य : महंत जगन्नाथ पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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रविवार को श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के साथ हुई परम शिष्य ऋषि मारकंडेय की भी आराधना।
कुरुक्षेत्र, 30 जुलाई : सावन अधिक मास के चलते रविवार को भी मारकंडा नदी के तट पर स्थित श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालु आस्था एवं भक्ति भाव के साथ पहुंचे। श्रद्धालुओं ने रविवार होने के कारण भगवान भोलेनाथ के साथ उनके परम शिष्य ऋषि मारकंडेय का पूजन एवं अभिषेक किया। श्रद्धालुओं ने पूजन उपरांत मीठे चावलों का प्रसाद वितरित किया।
इस मौके पर अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी ने सावन कथा करते हुए कहा कि भगवान शिव ने माता पार्वती को समय-समय पर कई ज्ञान की बातें बताई हैं। जिनमें मनुष्य के सामाजिक जीवन से लेकर पारिवारिक और वैवाहिक जीवन की बातें शामिल हैं। भगवान शिव ने माता पार्वती को 5 ऐसी बातें बताई थीं जो हर मनुष्य के लिए उपयोगी हैं।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि माता पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने उन्हें मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा धर्म और अधर्म मानी जाने वाली बात के बारे में बताया है। मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना या सत्य का साथ देना और सबसे बड़ा अधर्म है असत्य बोलना या उसका साथ देना है। उन्होंने दूसरी बात के बारे में बताया कि मनुष्य को अपने हर काम का साक्षी यानी गवाह खुद ही बनना चाहिए, चाहे फिर वह अच्छा काम करे या बुरा। अगर मनुष्य हमेशा यह एक भाव मन में रखेगा तो वह कोई भी पाप कर्म करने से खुद ही खुद को रोक लेगा।
महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि आगे भगवान शिव कहते है कि किसी भी मनुष्य को मन, वाणी और कर्मों से पाप करने की इच्छा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि मनुष्य जैसा काम करता है, उसे वैसा फल भोगना ही पड़ता है।
उन्होंने बताया कि भगवान शिव ने कहा है कि संसार में हर मनुष्य को किसी न किसी मनुष्य, वस्तु या परिस्थिति से आसक्ति यानि लगाव होता ही है। इसलिए भगवान शिव ने इससे बचने का एक उपाय बताया है। भगवान शिव कहते हैं कि मनुष्य को जिस भी व्यक्ति या परिस्थित से लगाव हो रहा हो, जो कि उसकी सफलता में रुकावट बन रही हो, मनुष्य को उसमें दोष ढूंढ़ना शुरू कर देना चाहिए। ऐसा करने से धीरे-धीरे मनुष्य लगाव और मोह के जाल से छूट जाएगा और अपने सभी कामों में सफलता पाने लगेगा।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि आगे भगवान शिव ने मनुष्यों को चेतावनी देते हुए कहते हैं कि मनुष्य की तृष्णा यानि इच्छाओं से बड़ा कोई दुःख नहीं होता है और इन्हें छोड़ देने से बड़ा कोई सुख नहीं है। जरुरी है कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं में अंतर समझे और फिर अनावश्यक इच्छाओं का त्याग करके शांत मन से जीवन बिताए। इस अवसर पर स्वामी संतोषानंद, स्वामी दीप नारायण, बिल्लू पुजारी, हरि सिंह, सुरेंद्र, नाजर सिंह, भाना राम व सुक्खा सिंह इत्यादि मौजूद रहे।
महंत जगन्नाथ पुरी से आशीर्वाद लेते हुए श्रद्धालु।