कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (निवारण,प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013 के अन्तर्गत गठित समिति के सदस्यों का प्रमंडल स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन:—
प्रबंध निदेशक,महिला एवं बाल विकास निगम, बिहार, पटना के पत्रांक WCDC/1741/23, दिनांक 19.07.2023 के आलोक में प्रमंडल स्तर पर एवं कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013 के अन्तर्गत पूर्णिया प्रमंडल अन्तर्गत सभी जिलों में गठित समिति के सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण – सह – कार्यशाला का आयोजन समाहरणालय सभाकक्ष पूर्णिया में आयोजित किया गया।
श्रीमती साहिला (भा०प्र०से०) उप विकास आयुक्त द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन किया गया किया गया।
प्रमण्डल स्तरीय कार्यशाला में पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज के सभी आंतरिक एवं स्थानीय समिति के सदस्यों एवं वन स्टॉप सेंटर के केन्द्र प्रशासक द्वारा भाग लिया गया।
कार्यशाला के दौरान उप विकास आयुक्त, द्वारा अधिनियम के संबंध में जानकारी देते हुए कहा गया कि महिलाओं को कार्य करने हेतु कार्य स्थल पर सुरक्षित माहौल देना हम सभी की जिम्मेदारी है। जिसमें हमसबो को भागीदारी सुनिश्चित करना होगा।
यह कार्यशाला महिला एवं बाल विकास निगम के सौजन्य से जिला प्रशासन पूर्णिया के द्वारा आयोजित किया गया।
इस कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास निगम की (SPM)श्रीमतीअनुपमाऔझा, डॉ०महालक्ष्मी सिंह शामिल हुई।
कार्यक्रम में सी3 संस्था के श्रीमती गुंजन बिहारी एवं अधिवक्ता श्री सौम्या भौमिक द्वारा तकनीकी सहयोग दिया गया।
कार्यशाला में उपस्थित सभी समिति के सदस्यों एवं कर्मियों को अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों तथा कर्तव्यों एवं जिम्मेदारियों इत्यादि के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई।
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध एवं निवारण अधिनियम की जानकारी दी गई।
महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा दिलाने और उत्पीड़न के शिकायतों के निदान की दिशा में सन 2013 में यह कानून बनाया गया।
इस अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न महिलाओं के समानता के मूल अधिकार जो की संविधान के अनुच्छेद 14, 15 ,21 में दिए गए हैं का उल्लंघन है यह अनुच्छेद कानून के समक्ष सामानता प्रदान करता है। धर्म जाति लिंग जन्म स्थल के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है और जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। इस कानून में ऑन उत्पीड़न से निपटने हेतु संबंधित पक्षों के उपयोग के लिए परिभाषाएं और साधनों का जिक्र है जिनका ब्यौरा अध्याय 3,4,5,6 में दिया गया है। इसके बारे में विस्तृत जानकारी से अवगत कराया गया।
यौन उत्पीड़न वैसे अवांछनीय यौन व्यवहार अथवा यौन प्रकृति वाले मौखिक या शारीरिक आचरण हो सकता है। जिसके परिणाम स्वरूप किसी व्यक्ति के काम काज में अनुचित हस्तक्षेप होता है या फिर काम का माहौल भयपूर्ण,शत्रुता पूर्ण या अपमानजनक बन सकता है।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के निवारण के महत्व के बारे में जानकारी दी गई कि यौन उत्पीड़न भेदभाव का एक गंभीर रूप है और इसे बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह काम में समानता का अवमूल्यन है और काम करने वालों की इज्जत, गरिमा और सलामती के खिलाफ है ।
काम करने वाले सभी चाहे महिला हो या पुरुष ऐसे कार्यस्थल पर काम करने का अधिकार है। जो सुरक्षित,आजाद,भेदभाव एवं हिंसा से मुक्त हो और महिलाओं के लिए अपने जिम्मेदारी में सहायक हो।
क्योंकि कार्यस्थल ऐसा स्थान है जहां वे अपने दिन का ज्यादातर समय बिताते हैं।
जिला प्रोग्राम पदाधिकारी श्रीमती रीना श्रीवास्तव द्वारा संपूर्ण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन कराया गया।