गीता उपदेशों से भगवान श्रीकृष्ण ने बताया सांसारिक सत्य: शाश्वतानंद गिरि।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में गीता प्रवचनों का 11वां दिन।
कुरुक्षेत्र, 5 अगस्त : अखंड गीतापीठ शाश्वत सेवाश्रम परिसर में चल रहे सम्पूर्ण गीता प्रवचन अनुष्ठान के 11 वें दिन शुक्रवार सायं गीता के दूसरे अध्याय के 29 से 38 वें श्लोकों तक विस्तारपूर्वक व्याखयान दिया गया। आश्रम प्रवक्ता डॉ.पुनित कुमार एवं संत कुमार ने बताया कि कार्यक्रम में प्रेरणा संस्था के संस्थापक एवं समाजसेवी डॉ.जय भगवान सिंगला मुख्यातिथि रहे जबकि जालंधर से मीनाक्षी भारती विशिष्ट अतिथि रही। दोनों अतिथियों को महामंडलेश्वर डॉ.शाश्वातानंद गिरि जी महाराज ने आशीर्वाद देकर सम्मानित किया। श्रीमद्भगवद्गीता की मुख्य बातें बताते हुए डॉ.शाश्वातानंद गिरि ने कहा कि इसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्य के उपदेश दिए हैं और इन उपदेशों की मदद से भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को इस संसार का सत्य बताते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता अर्जुन और उनके साथी भगवान श्री कृष्ण के बीच का संवाद है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत युद्ध के दौरान उपदेश दिए थे, वहीं बात श्रीमद्भगवद्गीता में पढ़ने को मिलती है। हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में सभी ग्रंथों में सबसे श्रेष्ठ श्रीमद्भगवद्गीता मानी जाती है, क्योंकि इसमें व्यक्ति के जीवन का सार है। इसमें ज्ञान योग, कर्म योग, राजयोग आदि के बारे में चर्चा की गई है और उन सबका महत्व बताया गया है। श्री भागवत गीता में 18 अध्याय हैं और 720 श्लोक हैं। श्रीमद्भागवत गीता की रचना महर्षि वेदव्यास ने संस्कृत भाषा में की थी। गीता के दूसरे अध्याय सांख्य योग में कुल 72 श्लोक हैं जिसमें श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्मयोग, ज्ञानयोग, सांख्ययोग, बुद्धि योग और आत्म का ज्ञान देते हैं। यह अध्याय वास्तव में पूरी गीता का सारांश है। इसे बेहद महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि इस विषम अवसर पर तुम्हे यह कायरता कहां से प्राप्त हुई। जिसका न तो श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा सेवन किया जाता है, न ही यह स्वर्ग को देने वाली है और न ही कीर्ति को करने वाली ही है। कार्यक्रम में साध्वी सुहृदय, सत्यध्वनि, आयोजन समिति सदस्य एवं भाजपा की प्रदेश पूर्व प्रवक्ता डॉ. शकुन्तला शर्मा, कुसुम सैनी,मुकुल शरण,भूपेन्द्र धर्माणी, प्रेम नारायण शुक्ल,मन्नु दत्त कौशिक,बलदेव सैनी, भूपेन्द्र शर्मा,विष्णु दत्त, सौरभ चौधरी,इन्दु शर्मा, ऊषा रानी, नीलम रानी, सुनीता देवी, परमजीत कौर, दर्शना, सुलोचना, प्रकाश रानी, बिमला,राज रानी, विवेक आन्नद, सतपाल शर्मा, जयपाल मलिक, आनंद कुमार, सुभाष, राजेन्द्र,सुरेन्द्र गुप्ता, आर डी शर्मा,जय प्रकाश, सुरेश कुमार, मुकेश मित्तल,डॉ. संतोष कुमार देवांगन और राजीव धीमान आदि उपस्थित रहे।