पूर्वोत्तर रेलवे, इज्जतनगर मंडल,
पर राजभाषा विभाग के तत्वावधान में आयोजित राजभाषा सप्ताह समारोह का हुआ समापन
दीपक शर्मा (संवाददाता)
बरेली : पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल पर राजभाषा विभाग के तत्वावधान में आयोजित ’राजभाषा सप्ताह समारोह-2023’ का समापन पर भव्य हास्य कवि सम्मेलन के साथ हुआ। इस अवसर पर अपर मंडल रेल प्रबंधक (इन्फ्रास्ट्रक्चर) विवक गुप्ता एवं अपर मंडल रेल प्रबंधक (परिचालन) राजीव अग्रवाल ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी अरविन्द कुमार श्रीवास्तव ने कवियों का माल्यार्पण कर मंच पर स्वागत किया।
कवि सम्मेलन का शुभारम्भ कासगंज के विख्यात हास्य कवि निर्मल सक्सेना द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। कविता पाठ करते हुए उन्होंने अपनी हास्य रचना में पत्नी की व्यथा को इन लब्जों में ब्यान किया –
प्यार पत्नी से करो अपनी प्रोफाइल की तरह,
तुम उसे साथ रखो अपने मोबाइल की तरह।
पत्नी जो खुश हो तो जी जान लुटादे तुम पर,
हो जो नाराज गिरेगी वो मिसायल की तरह।।
कवियत्री एवं वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी, इज्जतनगर श्रीमती नीतू ने बाल अवस्था की सुनहरी यादें एवं प्रकृति प्रेम को कुछ यूँ व्यक्त किया –
वे धरती का धानी आंचल, लहलहाती हरियाली,
सतरंगी तितलियों के पीछे दौड़ कर दूर तक जाना,
चिड़ियों को दाने देकर, हाथ पर प्यार से बिठाना,
पतंगों के ‘कटने‘ पर जोर से चिल्लाना,
बहुत याद आया वो गुजरा जमाना।
शिक्षा विभाग, बरेली के प्रतिष्ठित हास्य कवि श्री उमेश त्रिग्रुणायत ने अपनी रचना सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोरकर दिया –
मजहबों के नाम पर बांटा हुआ हूँ दोस्तों,
इस जहाँ में बे सवव डांटा हुआ हूँ दोस्तों।
देशहित में दान कर दी पूरा चर्बी हड्डियाँ,
इस लिए मैं सूख कर काँटा हुआ हूँ दोस्तों।
आई.वी.आर.आई., बरेली से सेवानिवृत्त तकनीकी अधिकारी एवं प्रसिद्ध हास्य कवि आनन्द गौतम ने अपना देश पे्रम कुछ इन अल्फ़ाजों में व्यक्त किया –
उलझे हुए प्रश्नों का समाधान करें,
आओ कि अपने देश का उत्थान करें।
आतंक, जातिवाद, घृणा, फिरकापरस्ती,
इनके खिलाफ जंग का ऐलान करें।
तनाव से मुक्ति पाने के बारे में टिप्स देते हुए रेलवे से सेवानिवृत्त वरिष्ठ हास्य कवि श्री पी.के. दीवाना ने अपनी रचना से श्रोताओं से हंसी से लोट-पोट कर दिया –
हास्य कवि हूँ,
लोगों को हँसाता हूँ,
लेकिन खुद नहीं हँस पाता हूँ,
क्योंकि
एक रोज मुसीबत में फँस गया था,
अपनी पत्नी पर हँस गया था।
रेलवे से सेवानिवृत्त राजभाषा अधिकारी एवं ऊर्जावान कवि प्रभाकर मिश्र ने मोहब्बत पर बखान इस प्रकार किया –
उस बेरहम ने इश्क मेें क्या-क्या बना दिया,
एक सूरमा को पीसकर सुरमा बना दिया।
एक नाजनी के नाज उठाने में लगा हूँ, यूँ समझिए कि पाँव दबाने में लगा हूँ।
रुठी है कल शाम से, रोटी नहीं मिली, भूखा हूँ इस कदर कि मनाने में लगा हूँ।।
कवि सम्मेलन के समापन पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में अपर मंडल रेल प्रबंधक (इन्फ्रास्ट्रक्चर) एवं अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी विवेक गुप्ता ने कवियों द्वारा प्रस्तुत कविताओं की मुक्तकंठ से प्रशंसा की और ऐसे कार्यक्रमों के बार-बार आयोजन की आवश्यकता बताई।
कार्यक्रम के आरम्भ में मंडल कार्मिक अधिकारी अभिनव सिंह ने कवियों एवं श्रोताओं का स्वागत करते हुए राजभाषा सप्ताह के दौरान मंडल पर हुए विभिन्न आयोजनों का विवरण प्रस्तुत किया और कवि सम्मेलन में उपस्थित कवियों का परिचय कराया।
अंत में राजभाषा सप्ताह समारोह समापन के दौरान आयोजित की गईं विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता प्रतिभागियों को प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किय गय। हिन्दी टिप्पण एवं प्रारूप लेखन में अमरेश कुमार ने प्रथम, गौरव शंखधार ने द्वितीय, जितेन्द्र कुमार ने तृतीय एवं हिंदी निबंध प्रतियोगिता में रीता कुमारी ने प्रथम, गौरव शंखवार ने द्वितीय, प्रभांशु ने तृतीय तथा हिंदी वाक् प्रतियोगिता में अमरेश कुमार ने प्रथम, जितेन्द्र कुमार ने द्वितीय, कुमारी ममता ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ मंडल इंजीनियर (समन्वय) अरुण कुमार, वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक रत्नेश कुमार सिंह, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक विजय कुमार यादव, वरिष्ठ मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर प्रवेश कुमार, मंडल विद्युत इजीनियर (टीआरडी) राजकुमार सहित अधिकारी, पर्यवेक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित थे।