सुखी जीवन के लिए पूर्वजों का आशीर्वाद जरूरी है : महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरि।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
अगर पूर्वज संतुष्ट नहीं तो जीवन में परेशानियां होती हैं : महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरि जी महाराज।
दिल्ली, 4 अक्तूबर : संत महामंडल की पूर्व अध्यक्ष एवं अनेक राज्यों में स्थापित मठ मन्दिर आश्रमों की परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरि जी महाराज ने कहा कि आजकल पूर्वजों के तर्पण का महीना चल रहा है। इस महीने में श्राद्ध में पूर्वजों का आभार व्यक्त करते हुए उनका स्मरण किया जाता है। उन्होंने बताया कि श्राद्ध पूजन की कई विधियां और मान्यताएं हैं लेकिन एक बात सभी मानते हैं कि पितृपक्ष में कभी भी अपने पूर्वजों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरि ने कहा कि अगर पूर्वज संतुष्ट नहीं तथा उनकी आत्मा को कष्ट पहुंचता है, तो कई पीढ़ियों के जीवन में उथल-पुथल हो सकती है। स्वामी जी ने बताया कि किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण द्वारा ही श्राद्ध कर्म (पिंडदान, तर्पण) करवाना चाहिए। श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है। उन्होंने बताया कि इसके साथ-साथ गौमाता, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए इससे जहां हमारे पूर्वज तृप्त होंगे वहीं हमारी जन्मकुंडली के ग्रह भी प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करेंगे।
महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरि जी महाराज।