स्विट्जरलैंड में जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने की पूजा अर्चना व सत्संग।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
सनातन धर्म के मूल में जातिवाद को कोई स्थान नहीं, भगवान श्री कृष्ण व गीता ज्ञान ही मानव जीवन है : महंत राजेंद्र पुरी।
कुरुक्षेत्र, 9 अक्तूबर : जग ज्योति दरबार से महंत राजेंद्र पुरी सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए स्विट्जरलैंड के जूरिक में श्री भगवान कृष्ण के मंदिर, इस्कॉन टेंपल इत्यादि अन्य दर्जनों जगह पहुंचे। यहां सत्संग व संकीर्तन के साथ सनातन धर्म प्रवचन किए। महंत राजेंद्र पुरी का विदेशी भूमि पर पर धूमधाम से स्वागत किया गया और उनके प्रवचनों को बड़े श्रद्धापूर्वक सुना गया।
स्विट्जरलैंड के जूरिक में महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि सनातन धर्म ही मानवता का पर्याय है।सनातन धर्म को मिटाने का प्रयास सम्पूर्ण मानवता को मिटाने जैसा है। आज जो लोग सनातन को मिटाने की बात कर रहे हैं, वो अच्छी तरह समझ लें कि सनातन के मिटने के बाद सम्पूर्ण विश्व इराक, सीरिया, लेबनान और अफगानिस्तान बन जायेगा। जहाँ केवल विनाश ही विनाश होगा।इस विनाश की आग में उनके घर भी जल जायेंगे जो इस विनाश को आमंत्रित कर रहें हैं। ऐसे लोग अच्छी तरह से समझ ले कि हम सनातन धर्म की रक्षा के लिये अडिग चट्टान की तरह खड़े हैं। समय आने पर हम सनातन धर्म की रक्षा के लिये मर मिटेंगे पर सनातन धर्म को नहीं मिटने देंगे।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को उसके मूल सिद्धांतों से काट दिया और हम पर अनेक ऐसी कुरीतियों को थोप दिया जो हमारी थी ही नहीं। जातिवाद और छुआछूत भी ऐसी ही एक कुरीति है। आज सनातन के मानने वालों के मन से ये कुरीति लगभग खत्म हो चुकी है, पर स्वार्थी राजनेता अपने तुच्छ स्वार्थों के लिये जातिवाद को हवा देते हैं। सनातन के मानने वालों को आपस मे लड़ा देते हैं। सनातन धर्मी होने के कारण हमारा पहला दायित्व है कि हम धर्म के लिए लड़ने वालों की हर सम्भव सहायता करें। अगर हम ऐसा नहीं करते तो सनातन धर्म को बचाना असम्भव होगा।
स्विट्जरलैंड के इस्कॉन टैम्पल और भगवान श्री कृष्ण मंदिर के पुजारी विकटिया कोनकटे, कृष्णा मंदिर के सुपरवाइजर प्रेमपुरा दास, संकीर्तन मुखिया उत्तमा स्टोका, त्यौहार प्रबंधक राजमणि दासा और कणमानी लोटके दासा आदि ने महंत राजेंद्र पुरी का गीता ज्ञान और हिंदू पूजा अर्चना बारे जानकारी देने पर धन्यवाद और सम्मान किया।
स्विट्जरलैंड के मंदिर में पुजारियों के साथ महंत राजेंद्र पुरी।