खुद ही बीमार लग रहा है, जौहरपुर का नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
एक नजर इस केंद्र पर भी……
दीपक शर्मा (संवाददाता)
बरेली : सीबीगंज, जौहरपुर के नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अलग ही नजारा देखने को मिलता है, यहां पर जब आप आएंगे तब आप देखेंगे की मरीज का उपचार करने के लिए न ही डॉक्टर मिलते हैं और न ही दवा मिलती है। आखिर दवा मिले भी तो कैसे, दवा देने का काम तो फार्मासिस्ट का ही होता है उसकी तो इस केंद्र पर तैनाती तक नही हुई है। और न ही लैब टेक्नीशियन यहां पर मौजूद है। सेंटर स्टाफ में दो कर्मचारी और एक डॉक्टर जिनका नाम वंशिका गंगवार है कार्यरत हैं। जब भी इस केंद्र पर जागेश्वर न्यूज़ की टीम पहुंची, तब तब डॉक्टर साहब दिखाई नही दीं। ये कैसा इत्तेफाक है।
अगर कोई मरीज दवा लेने पहुँचता है तो उन्हे ये कह कर वापस कर दिया जाता है कि डॉक्टर मैडम अभी आई नही हैं, ये सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है। इस केंद्र पर कहने के लिए सारे संसाधन उपलब्ध है। जिसमें मरीज के लिए वैड, दवा, टेस्टिंग लैब लेकिन मरीज देखने वाली डॉक्टर साहिब नजर नहीं आती हैं। वहीं स्टाफ में दो अन्य लोग हैं जो केंद्र को खोलकर बैठे रहते हैं क्योंकि उन्हें दवाओं का ज्ञान उतना नहीं है जितना एक डॉक्टर या फार्मासिस्ट को होता है। इसलिए वह भी किसी भी मरीज को दवा नही दे पाते, क्योंकि अगर उनके द्वारा दी गई दवा का कोई साइड इफेक्ट हो गया तो जिम्मेदारी उन्हीं की होगी। इसीलिए वह भी दवा देने से बचते नजर आते हैं। रविवार को जौहरपुर स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे एक मोटरसाइकिल पर बैठे एक वृद्ध व्यक्ति अचानक मोटर साइकिल के रेत में फस जाने के कारण गिरकर घायल हो गए। जिससे उनके मुंह से खून बहने लगा राहगीरों ने बताया कि पास में ही सरकारी अस्पताल है जब वहां जाकर देखा गया तब डॉक्टर मौजूद नहीं थी। उपस्थित कर्मचारी ने बताया मैडम अभी आई नहीं है, पूछा गया कंहा पर हैं तो बताया गया उन पर विधौलिया के केंद्र का भी चार्ज है हो सकता है वंहा हों। डॉक्टर मैडम का नंबर मांगने पर कर्मचारी ने बताया मेरी नियुक्ति अभी नई हुई है मेरे पास नंबर नहीं है। स्टाफ के बारे में जानकारी ली गई तो बताया गया। एक स्टाफ छुट्टी पर हैं, उनकी छुट्टी रजिस्टर में अंकित है। इस पर घायल व्यक्ति को पास के प्राइवेट अस्पताल में भेजा गया। लेकिन इन सब बातों से एक बात तो तय है की इन सरकारी केंद्रों को खोलने का उद्देश्य ही क्या है? जब किसी पीड़ित व्यक्ति को प्राथमिक उपचार ही न मिल सके, तो इनकी जरूरत ही क्या है? जगह-जगह पर इन केंद्रो को खोलकर सरकार ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी। लेकिन इन केंद्रों पर नियुक्त डॉक्टरों से काम कौन करवाएगा। इनमें फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, नर्स कौन भेजेगा, इससे अच्छा ये होगा की ये केंद्र बंद कर दिए जाये। क्योंकि जब डॉक्टर को इन पर सेवा देने में शर्म आ रही है तो उन्हे जिले के बड़े अस्पतालों में जोड़ दिया जाना चाहिए।
और हाँ, इतना ही नही इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जौहरपुर की बानगी तो देखिए जनाब……. यहां पर बरेली के जिला अधिकारी का नाम आज भी शिवाकांत द्विवेदी लिखा हुआ है, जबकि द्विवेदी साहब को गए काफी आरसा हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के पास इतना भी पैसा नहीं की बरेली के जिला अधिकारी रविंद्र कुमार के नाम वाला फ्लेक्स स्वास्थ्य केंद्र पर लगा सके!
इस विषय पर जब जौहरपुर स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात डॉक्टर वंशिका से बात करने का प्रयास किया गया तो फोन पर बात करने वाले ने अपने आप को डॉक्टर वंशिका का पति डॉक्टर देवेश बताते हुए कहा, कि मैडम का स्वास्थ्य अभी ठीक नहीं है इसलिए आपकी बात नहीं हो सकती। इससे साफ हो जाता है की मैडम डॉक्टर वंशिका की तबियत खराब थी और वो किसी भी केंद्र पर गई ही नही थी।
इसी क्रम में जब जिला स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी पवन कापड़ी महोदय से जानकारी लेनी चाहिए तो उनके द्वारा बताया गया की मैडम स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद हैं… जब संवाददाता द्वारा पवन कापड़ी महोदय को बताया गया की मैडम का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तब पवन जी ने कहा की मैडम की तैनाती दो जगह है, लेकिन संवाददाता द्वारा पवन जी से डॉक्टर वंशिका की तैनाती की दूसरी जगह पूछी गई, तो पवन कापड़ी इसका जवाब नहीं दे सके।
इस बारे में जानकारी लेने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर विश्राम सिंह जी से भी संपर्क किया गया। तो उनका फोन रिसीव नहीं हो सका।
इस पूरे प्रकरण से आप भी कुछ कुछ समझ ही गए होंगें की स्वास्थ्य विभाग में चल क्या रहा है। दावे तो सब हवा हवाई ही प्रतीत होते हैं।