धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में जीवन की कठोर परिस्थितियों से रुबरु करवा गया नाटक पाॅपकोर्न।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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नाटक पाॅपकोर्न से सजी नाट्य उत्सव की तीसरी शाम।
नाटक पाॅपकोर्न ने दर्शाए जीवन के कईं पहलू, दर्शकों से बटौरी तालियां।
कुरुक्षेत्र 24 मार्च :- हरियाणा कला परिषद द्वारा विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय नाट्य रंग महोत्सव के तीसरे दिन हिसार से रंगकर्मी राम नारायण द्वारा नाटक पाॅपकोर्न का मंचन किया गया। आशीष पाठक द्वारा लिखित एकल अभिनय नाटक के दौरान मुख्यअतिथि के रुप में अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक रविंद्र तोमर कार्यक्रम में पहुंचे। हरियाणवी लोकवाद्ययंत्रों की स्वर लहरियों के बीच स्वागत करते हुए कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने पुष्पगुच्छ भेंटकर मुख्यअतिथि रविंद्र तोमर का अभिनंदन किया। इस मौके पर रंगकर्मी रजनीश भनौट, पुलिस कर्मी नरेश सागवाल भी उपस्थित रहे। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। मंच का संचालन मीडिया प्रभारी विकास शर्मा द्वारा किया गया।
संजय भसीन ने जताया मीडिया का आभार।
17 मार्च से शुरु हुए गांधी शिल्प बाजार के दौरान आए दिन पर्यटक देशभर से आए हुए शिल्पकारों की प्रदर्शनियों का अवलोकन करने कला कीर्ति भवन में पहुंच रहे हैं। हस्तशिल्प विकास आयुक्त वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज द्वारा संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गांधी शिल्प बाजार की सूचना जन-जन तक पहुचाने के लिए कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने समस्त मीडियाकर्मियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि समाज के महत्वपूर्ण स्तम्भ के रुप में मीडिया अपनी विशेष भूमिका निभाते हुए कला परिषद के कार्यों को घर-घर पंहुचाने का कार्य कर रहा है, जिसके लिए सभी मीडियाकर्मी बधाई के पात्र हैं।
पाॅपकोर्न में दिखाई बेरोजगारी से जूझते इंसान की व्यथा।
नाटक पाॅपकोर्न में नायक सशस्त्र बलों में काम करना चाहता है और अपने देश की सेवा करना चाहता है। वह अपने सपने को साकार करने के लिए निकल पड़ता है। उसके साथ अन्य लोग भी थे, लेकिन दुर्भाग्य से निश्चित तारीख पर उनकी बारी न आने से निराशा में डूबे हुए नायक के साथी वापस आ जाते हैं, तो नायक यह सोचकर वापस आने की हिम्मत नहीं जुटा पाया कि उसके माता-पिता अब तक मनी ऑर्डर की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अपनी दैनिक जरूरतों के लिए पर्याप्त पैसे के बिना वह कुछ महान लोगों की मदद लेता है और बाद में रेलवे स्टेशन पर पॉपकॉर्न बेचना शुरू कर देता है। एक दिन वह एक रेलवे कोच में सशस्त्र बल के जवानों को देखता है और उन्हें पॉपकॉर्न बेचने के लिए उनके कोच में प्रवेश करता है। लेकिन सेना के जवान बिना अनुमति के कोच में घुसने के लिए उसकी पिटाई कर देते हैं। इसके बाद सेना में शामिल होने की उसकी इच्छा मर जाती है और वह जीवन भर पॉपकॉर्न बेचने का फैसला करता है। आशीष पाठक द्वारा लिखित नाटक पोपकॉर्न जीवन की कठोर वास्तविकताओं को दर्शाता हैं। मंच पर एक कलाकार ने दर्जनों किरदारों को अपने अभिनय क्षमता से जिंदा रखा । हंसते-हंसते वह बेरोजगारी और हमारी व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है। इस तरह से जिंदगी की परेशानियों को दर्शाता यह नाटक आत्मनिर्भरता का पाठ भी पढ़ाता है। नाटक मे मुख्य भूमिका रामनारायण ने निभाई, वहीं संगीत भवनेश लूथरा का रहा तथा प्रकाश व्यवस्था चिराग कालड़ा ने सम्भाली। मंच के पीछे निपुण कपूर ने साथ दिया। अंत में संजय भसीन ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया तथा आॅनलाईन प्रस्तुति देने वाले चमन चैहान, गोविंदा, माधव भाटिया तथा मोहन को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
होगा नाटक दास्तां गुरु तेग बहादुर।
सात दिवसीय नाट्य उत्सव में नाटक दास्तां गुरु तेग बहादुर का मंचन किया जाएगा। सिक्खों के गुरु तेग बहादुर के जीवन पर आधारित नाटक का निर्देशन हिसार के रंगकर्मी मनीष जोशी द्वारा किया गया है। कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने बताया कि नाटक मंचन के दौरान सभी दर्शकों का का सिर ढककर बैठना अनिवार्य होगा तथा छोटे बच्चों का प्रवेश वर्जित रहेगा।