हिंद की चादर’ गुरु तेग बहादुर जी, जिनकी वजह से बचा है सनातन धर्म। अशोक चैाधरी,कलाकारों ने नाटक के माध्यम से गुरु तेग बहादुर जी को किया याद

‘हिंद की चादर’ गुरु तेग बहादुर जी, जिनकी वजह से बचा है सनातन धर्म। अशोक चैाधरी,कलाकारों ने नाटक के माध्यम से गुरु तेग बहादुर जी को किया याद।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

नाट्य रंग महोत्सव में हुआ दास्तां गुरु तेग बहादुर का सफल मंचन।
27 मार्च देर रात्रि तक रहेगा धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में शिल्प मेला।
पर्यटक धर्मनगरी कुरुक्षेत्र वासी कर रहे खूब खरीदारी।

कुरुक्षेत्र :- धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांत की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले गुरु तेग बहादुर जी के जीवन से मानव को जीने की राह मिलती है। अगर आज आम भारतीय अपनी सनातनी परंपराओं का पालन कर रहे है, तो सिर्फ गुरु तेगबहादुर जी की शहीदी की वजह है। हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर जी की कुर्बानी ने ही सनातन धर्म की रक्षा की है। ये कहना था मारकण्डा नैशनल काॅलेज के प्राचार्य अशोक चैाधरी का। वे हरियाणा कला परिषद द्वारा आयोजित नाट्य रंग महोत्सव की पांचवी शाम में मंचित नाटक दास्तां गुरु तेग बहादुर के दौरान लोगों को सम्बोंधित कर रहे थे। विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय नाट्य महोत्सव में अभिनय रंगमच हिसार के कलाकारों ने बिस्मिल्ला खां अवार्डी मनीष जोशी के निर्देशन में तैयार यशराज शर्मा का लिखा नाटक दास्तां गुरु तेग बहादुर मंचित किया। इस मौके पर अशोक चैाधरी बतौर मुख्यअतिथि उपस्थित रहे। वहीं वरिष्ठ समाजसेवी जयभगवान सिंगला विशिष्ट अतिथि के रुप में कार्यक्रम में पहुंचे। इस मौके पर हरियाणा कला परिषद के अतिरिक्त निदेशक महाबीर गुड्डू व शशी भसीन भी विशेष रुप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम से पूर्व कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच का संचालन विकास शर्मा द्वारा किया गया।
सिक्खों के नौंवे गुरु जी के जीवन के फलसफे से रुबरु करवा गया नाटक दास्तां गुरु तेग बहादुर।
हिसार के कलाकारों ने सिक्खों के 9वें गुरु तेग बहादुर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए किस्सागोई शैली में नाटक का मंचन किया। नाटक में दिखाया कि अत्याचारी औरंगजेब के शासनकाल में जुल्मो सितम का बाजार गर्म था। हिंदू जनता को इस्लाम स्वीकार करने के लिए तरह तरह की यातनाएं दी जा रही थी। बहू बेटियां उठाई जा रही थीं। जबरदस्ती गोमांस खिलाकर उनका धर्म भ्रष्ट किया जा रहा था। धर्म पर भारी खतरा उत्पन्न हो गया था। खास तौर पर कश्मीर में बेहद बुरा हाल था। वहां औरंगजेब का सूबेदार शेर अफगान हिंदू जनता पर भारी जुल्म कर रहा था। लोग बेबस गाय की तरह मारे जा रहे थे। मासूम लोगों ने आनंदपुर साहिब जाकर महान गुरु तेगबहादुर जी के सामने गुहार लगाई।
तब गुरुजी उनके बचाव के लिए सामने आए, और उन्होने समस्त सनातनी समाज पर अपनी सुरक्षा की चादर उढ़ा दी। जिसकी वजह से उन्हें हिंद की चादर कहकर पुकारा गया। गुरुजी ने बेबस सनातनियों की रक्षा के लिए जुल्मी औरंगजेब के दरबार में जाने का फैसला किया। आनंदपुर, रोपड़, सैफाबाद, समाना, से होते हुए मुगलों के दरबार आगरा पहुंचे। जहां गुरुजी ने औरंगजेब से भेंट की। गुरुजी के वचन सुनकर औरंगजेब को लगा कि उसे पूरे भारत को इस्लामी झंडे के नीचे लाने का अच्छा मौका मिल गया है। क्योंकि सिर्फ एक व्यक्ति को मुसलमान बना दिया गया तो पूरा हिंदुस्तान मुसलमान बन जाएगा। औरंगजेब ने पहले तो गुरुजी को लालच दिया, लेकिन अकाल पुरुख की कृपा से संपूर्ण निधियों के स्वामी गुरु तेगबहादुर जी को कोई भी लालच डिगा नहीं पाया। तब मुगलों का जुल्मो सितम का सिलसिला शुरु हो गया। बेहद क्रूरता पूर्वक गुरुजी के प्रिय शिष्यों को मौत के घाट उतारा जाने लगा। सबसे पहले भाई मतिदास को बांधकर आरे से चीरा गया, फिर भाई दयाल सिंह को पानी से भरी देग में उबाल कर मार डाला गया। आखिर में भाई सतिदास को रूई में लपेट कर जिंदा जला दिया गया। लेकिन गुरुजी के कृपा से उनके शिष्यों ने उफ तक नहीं की। गुरु जी के प्रताप से खिन्न होकर औरंगजेब ने महान गुरु तेग बहादुर जी के शीश को अलग कर दिया। गुरु तेगबहादुर जी की शहादत से पूरे सनातनी समाज में क्रोध की लहर दौड़ गई। इस प्रकार गुरुजी के जीवन को किस्सागोई शैली में प्रस्तुत कर कलाकारों ने भरपूर वाहवाही बटौरी। एक ओर जहां कलाकारों का किस्सा सुनाने का अंदाज बेहद मनमोहक था, वहीं दूसरी ओर नाटक का संगीत भी लोगों को जोड़े रखने में कामयाब हुआ। नाटक में धीरज शर्मा,, रहीस खान, संजीव, चैनीज गिल, प्रदीप, चिराग कालड़ा आदि ने अपनी प्रतिभा को दिखाया। इस मौके पर नाटक के लेखक यशराज शर्मा तथा निर्देशक मनीष जोशी भी उपस्थित रहे। अंत में सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया।
हास्य नाटक पंचलाईट से होगा नाट्य महोत्सव का समापन।
विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय नाट्य रंग महोत्सव का आज 27 मार्च को समापन होगा, जिसमें फणीश्वर नाथ रेणू द्वारा लिखित बहुचर्चित कहानी पंचलाईट को बड़े ही रोचक तथा हास्य पूर्ण ढंग से न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के कलाकारों द्वारा मंचित किया जाएगा। नाटक का निर्देशन विकास शर्मा द्वारा किया गया है, तथा नाटक का समय सायं 6.30 बजे रहेगा। विकास शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि दर्शकों को नाटक पंचलाईट में हास्य और मनोरंजन के साथ-साथ बिहार की बोली, वेशभूषा तथा लोकगीत सुनने को मिलेंगे।
गांधी शिल्प मेले की खुशबू से महक रहा कलाकीर्ति भवन, पर्यटकों ने खरीदारी।
हस्तशिल्प विकास आयुक्त वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार और उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज द्वारा हरियाणा कला परिषद के कला कीर्ति भवन में आयोजित गांधी शिल्प बाजार में पर्यटकों की संख्या बढ़ती नजर आ रही है। शाम के समय परिसर के कोने-कोने में पर्यटक भ्रमण करते हुए तथा शिल्पकारों की प्रदर्शनियों का अवलोकन करते हुए दिखाई देते हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न प्रांतों से आए हुए शिल्पकारों से आंगतुक सामान भी खरीद रहे हैं। कुरुक्षेत्र में लगे शिल्प मेले न केवल कोरोना महामारी के बाद शिल्पकारों व कलाकारों को निजात दिलाने में कामयाबी हासिल की है, बल्कि आम लोगों के मनोरंजन में भी इजाफा किया है। कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने बताया कि पर्यटकों के रुझान को देखते हुए दस दिवसीय शिल्प मेले की अवधि एक दिन के लिए बढ़ा दी गई है। 26 मार्च को सम्पन्न होने वाला शिल्प बाजार 27 मार्च को भी देर रात तक खुला रहेगा, जिसमें लोग अपनी पसंद की खरीदारी करने के लिए कला कीर्ति भवन में आ सकते हैं। गांधी शिल्प मेले के दौरान विकास आयुक्त वस्त्र मंत्रालय से सहायक निदेशक आर.आलम भी मेले का अवलोकन करने कला परिसर पहुंचे। उनके साथ एनसीजेडसीसी से जयंत प्रकाश तथा मदन मोहन मणि भी उपस्थित रहे।

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