दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा राम सुमिर के नामक एक विशेष कार्यकर्म का किया गया आयोजन।
फिरोजपुर 07 फरवरी {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गणेशगढ़,श्री गंगानगर में राम सुमिर के नामक एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया । प्रवचनों में श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी चन्द्रशेखरानन्द जी ने श्री राम के जीवन काल से जुड़ी लीलाओं में निहित गहरे आध्यात्मिक अर्थों को सुंदर विवरण सहित समझाया। उन्होंने कहा कि भगवान राम का जीवन चुनौतियों से भरा हुआ था, चाहे वह 14 साल का वनवास हो, भार्या सीता का राक्षस रावण द्वारा अपहरण हो, या फिर अपने राजकीय दायित्वों को निभाते हुए भावनात्मक व नैतिक दुविधाओं का सामना करना हो। परंतु समस्त चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करते हुए भी उनका
संयम अतुलनीय रहा। इसीलिए उन्हें राइट एक्शन मैन (RAM) कहकर भी संबोधित किया जाता है। त्रेता युग में दर्शाए गए उनके आदर्श, नैतिक मूल्य व सिद्धांत वर्तमान काल में भी अत्यधिक महत्व रखते हैं। भगवान राम को अक्सर धार्मिकता व सदाचार की प्रतिमूर्ति- ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ के नाम से भी सम्मानित किया जाता है। उनका जीवन व जीवन-यात्रा सदैव ‘सनातन धर्म’ – शाश्वत सत्य, के अनुकूल रही। भगवान राम दिव्यता व उच्च कर्तव्यपरायणता के आदर्श स्वरूप हैं। हर परिस्थिति में सकारात्मक व कुशल प्रतिक्रिया देने की उनकी यह कला आज भी सभी आयुवर्ग के लोगों को सामाजिक-आध्यात्मिक स्तर पर उच्चकोटि का जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करती है।
स्वामी जी ने समझाया कि केवल आध्यात्मिक रूप से रूपांतरित व्यक्ति ही सुंदर समाज व विश्व शांति के मार्ग को प्रशस्त करने की क्षमता रखते हैं। और केवल समय के पूर्ण सतगुरु ही ब्रह्मज्ञान में दीक्षित कर हमें शांतिपूर्ण जीवन जीने की वास्तविक कला सिखा सकते हैं। तत्पश्चात अपने आत्म-स्वरूप से जुड़ कर हम जीवन को एक व्यापक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अनुभव कर पाते हैं।
साध्वी सदया भारती एवं साध्वी दीपाली भारती जी ने सुमधुर भजनों का गायन किया।
श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सोनिया भारती जी ने अपने प्रवचनों में बताया कि ‘आज श्रीराम के अयोध्या आगमन पर हर ओर आनंद की लहर है, जो दर्शाती है कि भारत की आत्मा पर आज भी श्रीराम अंकित हैं। जिन्होंने भी मन्दिर निर्माण में बलिदान दिए और अपने जीवन आहूत किये, आज उनके संघर्षों का संस्मरण दिवस भी है। इस नवनिर्मित मन्दिर की नींव किसी ईंट या गारे से नहीं बनी, बल्कि इसमें लाखों-करोड़ों राम भक्तों के वर्षों का तप, प्रेम, प्रतीक्षा, प्रार्थना व श्रद्धा समाहित है।
स्वामी धीरानंद जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि जो लोग श्री राम को केवल काल्पनिक पात्र भर कहते थे, उन्हें आज समझना होगा कि श्रीराम सनातन सत्य हैं! दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं कि ‘हिटलर, मुसोलिनी हुए कि नहीं, एक बार के लिए इस बात पर संशय किया जा सकता है। लेकिन श्रीराम हुए थे, ये बात सत्य थी, सत्य है और सत्य ही रहेगी। इस सत्य व इससे जुड़ी जीवन-गाथा की थाह लेने के लिए आपको ‘दिव्य दृष्टि’ की आवश्यकता है।
इस अवसर पर डॉ विनीता आहूजा भी उपस्थित रहीं। सारी संगत के लिए भंडारे का प्रबन्ध भी किया गया।