कबीरा सररर 1- ‘आर्य वीर दल’अखाड़ा
जनपद के मेहनगर में होली की तैयारियां जोरों पर हैं। महिलाएं चिप्स और पापड़ को अन्तिम रूप देकर गुझिया बनाने की तैयारी में हैं। युवक अपने स्टाइल में होली की तैयारी कर रहे हैं। बुजुर्ग अपनी होली की पुरानी यादों में खोए सब कुछ बदलता हुआ देख रहे हैं। फाग के गीत, ढ़ोल और मजीरा की यादें। कितना मजा आया था, जब भांग में धतूरा मिलाया था, सब मस्त हैं। रंग के उमंग में, भंग की तरंग में डूबते उतराते। इन सबसे दूर नगर के कुछ बच्चे, नगर की विरासत और संस्कृति को जीवित रखने की ललक लिए , लाठियों और तलवारों से जूझ रहे हैं। ‘आर्य वीर दल’ का अखाड़ा लगभग 75 वर्षों से नगर को एक सूत्र में बांधने का कार्य कर रहा है। तमाम उतार चढ़ाव के बाद भी इस दल के बच्चे अपने हमजोलियों के साथ अपने करतब दिखाकर होली को रंगों से भर रहे हैं। गोला बाजार के एक परिसर में शाम होते ही बच्चे इकठ्ठे हो गए हैं। चारों तरफ दूधिया प्रकाश जगमग है। कुछ बच्चे समूह में, कुछ आमने-सामने, युद्ध जैसा नजारा, लाठियां खड़क रही हैं, तलवारें झनझना रही हैं, होली पर अपने प्रदर्शन को और बेहतर बनाने की जी तोड़ कोशिश जारी है। होली के दिन यह अखाड़ा नगर के प्रमुख मार्गों पर अपना करतब दिखाते हुए, वगैर किसी भेदभाव के, सबसे गले मिलते हुए, कबीरा सरररर सररर, सोरहे बाबा, खाकी बाबा, लाहौरी माई सररर सरर कबीरा सरररर के जय उदघोष और एरी वेरी करे पुकार, आर्य समाज जिन्दाबाद, दयानंद की यही पुकार, आर्य समाज जिन्दाबाद के नारों के साथ नगर को एकाकार करने की पुरजोर कोशिश करते हुए गमन करता है। नगरवासी अखाड़े का स्वागत रंग, गुलाल और टीका से करते हैं। जगह-जगह अखाड़े का स्वागत और जलपान,
बच्चों का उत्साह बर्धन करते हुए अखाड़े के परिसर में बैठे कमलेश कुमार मधुकर, शशिकान्त सेठ, काली प्रसाद जायसवाल, आर्य कमल बरनवाल, राजू मध्देशिया, प्रमोद आर्य, दिनेश सेठ, अरूण मध्देशिया और जय प्रकाश माली बताते हैं कि आर्य समाज का समूह, हरिदास आर्य का संरक्षण और प्रह्लाद आर्य का क्रियान्वयन इस दल को जीवंत किए हुए है। इस दल का प्रारंभ नगर के गोंड़ समाज द्वारा किया गया। उनके परिवार के सदस्य आज भी इस परम्परा को कायम रखें हुए हैं। वीर दल को प्रशिक्षण प्रदान करते हुए राजकुमार और प्रकाश गौड़ बताते हैं कि इस वर्ष अंगद गौड़,गौरव जायसवाल, प्रमोद ताम्रकार, अनिल सेठ, हिमांशु ताम्रकार ‘करिया’, सूरज, जयप्रकाश, हर्ष गौड़, गोविंद, लकी गौड़, सत्यम, सत्यम आर्य, सचिन और अमन गौड़ की मेहनत रंग लाएगी और बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
‘आर्य वीर दल’ दिवंगत हुए चिरौजी लाल आर्य, कन्हैया गोंड़, मुन्नीलाल गोंड़, बद्री प्रसाद सेठ, महादेव मध्देशिया, रामदेव गोंड़, किशोरी चौरसिया, हरिहर गोंड़, मुरली गोंड़ सुध्दु सरोज आदि उन वीरों को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं जिन्होंने अपने बेहतरीन पैतरों और समर्पण भाव से दल के प्रदर्शन में कभी चार चाँद लगाया था।
होली समाज की जड़ता और ठहराव को तोड़ने का त्यौहार है। होली प्रेम की वह रसधारा है जिससे समाज भीगता है। हमारे भीतर के बंधनों,कुण्ठा और भीतर जमे अवसाद को खोलने का त्यौहार। होली में जो मजा चुनरिया वाली को रंग लगाने में है वह मजा फटी जिन्स वाली को छेड़ने में कहाँ। आओ गुलाल लगाएं, गुलाल उड़ाएं, बसंत उत्सव को यादगार बनाएं। अंतिम होली मानकर अपनी माटी में मिल जाएँ। आओ अब चलें ‘मधुशाला’ की ओर जहाँ ‘दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला’ ‘ मंदिर मस्जिद बैर कराते मेल कराती मधुशाला ‘ कबीरा सररर सररर, जोगी जी धीरे धीरे , जोगी जी वाह।।
प्रस्तुति- सुधीर चन्द्र अस्थाना