कभी न भूलेगा लॉक डाऊन का मंजर।
सिद्धार्थ गुप्त की रिपोर्ट
कन्नौज-भगवान, बीते वर्ष का समय कभी न दिखाए। गरीब हो या अमीर, हर वर्ग पर मुसीबतों की मार पड़ी थी। संक्रमण और सख्ती से हर कोई दहशत के साए में था।लॉकडाउन की दुश्वारियां अब भी हर किसी को जुबानी याद है। किसी का अपना कोसों दूर से भूखा-प्यास चलकर पैदल घर पहुंचा तो किसी के घर में खाने को लाले पड़ गए। संक्रमण और सख्ती का आलम ये था कि आम इंसान अपनों तक नहीं पहुंच पाता था। इस संकटकाल में कई मुनाफाखोरों ने खूब चांदी काटी। जरूर सामान के तीन गुने तक दाम वसूल किए। वहीं, काफी ऐसे रहे कि जो हर संभव मदद को आगे रहे। खाद्य सामग्री, मास्क, सेनेटाइजर बंटवाए। लॉकडाउन में सबसे ज्यादा ब्लैक में नशे की सामग्री बिकी। गुटखा और सिगरेट के दाम तीन से पांच गुने तक वसूले गए। चोरी छिपे लोग बेचते और पकड़े भी जाते थे। वहीं, डुप्लीकेट गुटखे की मार्केट भी खूब चली। नए-नए नाम के गुटखे चोरी छिपे बेचे जाते थे।