वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
बेटियों को शिक्षित करना होगा व उन्हें आत्मनिर्भर बनाना होगा।
कुरुक्षेत्र, 13 अप्रैल : नवरात्र मां दुर्गा की आराधना का पर्व है। इन नौ दिनों में माता के नौ रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन नौ शक्तियों के मिलन को ही नवरात्र कहते हैं। जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि वैसे तो हमारे देश में कन्या पूजन सदियों से चला आ रहा है लेकिन क्या एक दिन कन्या पूजन करने के बाद नारी जाति के प्रति पुरुष वर्ग के कर्तव्य और भावनाएं समाप्त हो जाती हैं। क्या हम कह सकते हंइ कि हमारी कन्याएं समाज में सुरक्षित हैं ? आज किस तरह के कन्या पूजन की जरूरत है ? हम ऐसा क्या करें कि हमारी बेटियां सुरक्षित रहें और निर्भयता पूर्वक अपना जीवन जी सकें। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि एक दिन कन्या पूजन करके दूसरे दिन ही अगर कोख में पल रही कन्या के भ्रूण की हत्या करते हैं तो कन्या पूजन करना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि कन्या पूजन सही मायने में तभी सफल होगा जब घर में अपनी बहन और बेटी का सम्मान करेंगे, उसके सुख-दुख का ध्यान रखेंगे। उसे आगे बढ़ने और विकास करने का मौका देंगे। नवरात्रों में हमें यह संकल्प लेना है कि हम अपनी कन्याओं की सही परवरिश तो करेंगे ही, उन्हें शिक्षित करके आत्मनिर्भर भी बनाएंगे, ताकि वे भविष्य में आने वाले हर तूफान का डटकर सामना कर सकें। अगर कन्या पूजन को सही मायने में सार्थक करना है तो हमें बेटियों को शिक्षित करना होगा, उन्हें आत्मनिर्भर बनाना होगा।
जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी।