माल्देपुर स्थित एक होटल के सभागार में भारत विकास परिषद की ओर से स्वामी विवेकानन्द जी की 1957 वी जयंती मनाई गई।
स्वामी विवेकानंद जी के फोटो पर सभी पदाधिकारी एवं सदस्यों के द्वारा माल्यार्पण करने के पश्चात
मऊ से पधारी मुख्य अतिथि डॉ अलका राय जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक अभिभावकों को अपने बच्चों के सामने एक बड़े लक्ष्य को सामने रखकर और से प्राप्त करने की अनवरत प्रयास करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। भारत विकास परिषद की जिला
अध्यक्ष एवं समाजसेवी संध्या पांडेय ने कहा विवेकानंद जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए
जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य महापुरुषों के द्वारा किए गए महान कार्यों एवं उनके संघर्षों को अपने जीवन में उतारना होता है।
नरेंद्र दत्त से स्वामी विवेकानंद बनने में उनकी माता श्रीमती भुनेश्वरी देवी जी का बहुत बड़ा हाथ रहा। वे अत्यंत धर्म परायण महिला थी, व नरेंद्र दत्त को शेशव काल से ही रामायण, महाभारत, गीता आदि की कथाएं एवं उपदेश सुनाती रही जिनका उनके जीवन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा था।
विशिष्ट अतिथि पूर्व शिक्षक श्री राजेंद्र प्रसाद गुप्त जी ने कहा की होनहार बिरवान के होत चिकने पात , स्वामी विवेकानंद जी बचपन से ही अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के थे। धर्म अध्यात्म में उनकी अत्यंत गहरी रुचि थी जिसके कारण उन्हें उस युग के महान संत स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी से मुलाकात हुई और वे एक प्रखर वेदांती एवं विश्व से मुलाकात हुई और वे एक प्रखर वेदांती एवं विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारक एवं विद्वान बन सके।। अध्यक्षता मुन्ना राय तथा संचालन डॉक्टर एसएन राय मऊ ने किया सभागार में उपस्थित रहे सूर्य कुमार पांडेय मनोज राय निभा पांडेय ममता वर्मा आशीष पांडेय चंपा देवी पूजा तिवारी आदि मौजूद रहे ।