दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा शिव मंदिर में भगवान शिव कथा का किया गया आयोजन

फिरोजपुर 03 मई {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा शिव मन्दिर,ताखरांवाली,श्रीगंगानगर में भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया है। अपने प्रवचनों में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री शालू भारती जी ने बताया कि आज भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में भगवान शिव के असंख्य भक्त उनकी उपासना करते हैं। विश्व की विभिन्न प्राचीन सभ्यताओं में भी भगवान शिव की उपासना के प्रमाण मौजूद हैं। उदाहरणस्वरूप तुर्किस्तान के बेबीलोन शहर में एक हजार दो सौ फुट का एक विशाल शिवलिंग पाया गया है। स्कॉटलैंड में स्वर्ण जड़ित एक विशाल शिवलिंग है। आयरलैंड के तारा हिल में एक बहुत पुराना शिवलिंग स्थापित है। दक्षिण अफ्रीका के ब्राज़ील शहर में अनेकों शिवलिंग हैं। इसी प्रकार मेक्सिको, जावा, कम्बोडिया, सुमात्रा, नेपाल, भूटान, इटली, यूरोप आदि देशों में विभिन्न प्राचीन शिवलिंग होने के प्रमाण मिले हैं। ये सब साक्ष्य भगवान शिव की सर्वगम्यता व असीमित लोकप्रियता को ही दर्शाते हैं। और ये हो भी क्यों न? शिव तो देवों के देव महादेव हैं। भक्ति और शक्ति का संगम हैं महादेव। वैराग्य व योग के अधिष्ठाता हैं महादेव। समाज से बहिष्कृत भूत प्राणियों के एकमेव आश्रय स्थल भूतनाथ हैं महादेव। और भारत देश की तो आत्मा हैं महादेव। जिस प्रकार बिना आत्मा के देह शव हो जाती है, उसी प्रकार बिना शिव तत्व के यह विश्व भी निष्प्राण है। जब-जब भी समाज से शिव तत्व लुप्त हुआ तब-तब समाज पतन को प्राप्त हुआ है। आज समाज में व्याप्त हिंसा, वैमनस्य, मतभेद सब शिव तत्व का समाज से विलुप्तिकरण ही दर्शाते हैं। आज भाई-भाई का दुश्मन है। एक छत के नीचे रहने वाले एक ही परिवार के सदस्यों के मन एक नहीं हैं। इस सन्दर्भ में गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं कि अगर शिव परिवार की झाँकी देखें तो वहाँ विपरीत प्रकृति के जीव भी सामंजस्य का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते नज़र आते हैं। मयूर का भोजन साँप है और साँप का भोजन मूषक। बैल सिंह का भोजन है। लेकिन शिव परिवार में सारे ही जीव एक साथ बिना किसी को हानि पहुंचाए समरस होकर रहते हैं। ये ही है प्रेम व सौहार्द्र की अनुपम झाँकी। आज अगर समाज में प्रेम व एकजुटता का अभाव है तो इसका एक ही कारण है- शिव तत्व का अभाव। समय के पूर्ण सद्गुरु उसी सनातन शिव तत्व को हमारे घट में ज्ञान दीक्षा के माध्यम से उजागर कर देते हैं। और तब ही समाज में एकत्व की स्थापना होती है। कथा के दौरान साध्वी सोनिया भारती और साध्वी दीपाली भारती द्वारा सुमधुर भजनों का गायन किया गया।

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