उन्नति के शिखर पर पहुंचाती है सकारात्मक सोच : सूबे प्रताप

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

प्रान्तीय आर्य वीर दल शिविर में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे गुरुकुल के प्राचार्य ने युवाओं को दिये व्यक्तित्व विकास के सूत्र।

कुरुक्षेत्र, 3 जून : एकाग्रता और दृढ़ इच्छाशक्ति से अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर बढ़ने वालों को अपने लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है, ऐसे ही लोग सफलता का नया इतिहास लिखते हैं। उक्त शब्द आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र में चल रहे प्रान्तीय आर्य वीर दल शिविर में प्रातःकालीन बौद्धिक सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे गुरुकुल के प्राचार्य सूबे प्रताप ने कहे। उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच के साथ मेहनत करते जाओ, एक दिन आप सफलता के शिखर पर जरूर पहुंचोगे। इस अवसर पर शिविर संयोजक संजीव आर्य, वरिष्ठ व्यायाम शिक्षक सूर्यदेव आर्य, संदीप वैदिक सहित सभी प्रशिक्षक उपस्थित रहे।
थाॅमस एल्वा एडीसन का उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि एक प्रयोग के दौरान वे 10 हजार बार फेल हुए, बार-बार कोशिश करने के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिल पाई मगर दृढ़ इच्छाशक्ति और एकाग्रता के साथ वे फिर भी उस असंभव से कार्य को करने में लगे रहे और आखिर उसमें वे कामयाब भी हुए। जब किसी ने उनसे पूछा कि आप 10 हजार बार असफल हुए फिर भी आपने उम्मीद नहीं छोड़ी, ऐसा क्यों? तब एडीसन ने कहा कि मैं 10 हजार बार फेल नहीं हुआ बल्कि इन प्रयासों से मुझे यह ज्ञात हुआ कि ये 10 हजार तरीकांे से यह कार्य नहीं हो सका। अर्थात् इतनी असफलताओं के बावजूद भी उन्होंने अपनी सोच को नकारात्मक नहीं होने दिया। आप भी जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते जाओ।
पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि घर में बहुत अभाव होने के बावजूद डाॅ. कलाम दुनिया के विख्यात वैज्ञानिक बने। उन्होंने कहा कि जीवन में आने वाली मुश्किलों से कभी घबराना नहीं चाहिए क्योंकि जब हम मुश्किलों का डटकर सामना करते हैं तो वे उतनी बड़ी नहीं रहती जितनी दूर से दिखाई पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व विकास की सबसे अहम कड़ी है चरित्र निर्माण क्योंकि आपके चरित्र से ही समाज में आपकी पहचान बनती है। इसलिए अच्छे साहित्य का स्वाध्याय करो, अच्छे लोगों की संगति मंे रहो और अच्छे लोगों से ही मित्रता करो। अन्त में उन्होंने शिविर में सिखाए योगासन, प्राणायाम व अन्य शारीरिक व बौद्धिक गतिविधियों को आत्मसात करने के आह्वान किया।

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