वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा सनातन की शक्ति संत महापुरुषों की तपस्या से ही है।
कुरुक्षेत्र, 3 जून : धर्मनगरी के जग ज्योति दरबार में विश्व कल्याण एवं शांति के लिए अखंड पंच धूणी अग्नि तपस्या कर रहे महंत राजेंद्र पुरी ने सोमवार को बड़ी संख्या में दर्शन करने आए श्रद्धालुओं के साथ संकीर्तन करते हुए कहा कि आधुनिक युग में हम कितना भी विकास कर लें परन्तु भारतीय सनातन संस्कृति के अनुसार तपस्या एवं हवन यज्ञ का विशेष महत्व है। जल, वायु, पृथ्वी तथा जीवन को अगर कोई शुद्धि दे सकता है तो वह यज्ञ ही है। उल्लेखनीय है कि ज्येष्ठ महीने में पड़ रही चिलचिलाती धूप में घर से बाहर निकलना भी मुश्किल होता है तो वहीं विश्व के कल्याण के लिए महंत राजेंद्र पुरी कड़ी दोपहर में निरंतर तपस्या कर रहे हैं। महंत राजेंद्र पुरी भरी दोपहरी में रोजाना तीन से चार घंटे की कड़ी तपस्या कर रहे हैं। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि आज सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए हवन यज्ञ एवं तपस्या ही शक्ति है। जग ज्योति दरबार महंत राजेंद्र पुरी की तपस्या देखने के लिए और दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि वे तपस्या के साथ ब्रह्मा, विष्णु, महेश, श्री गणेश एवं मां भगवती की आराधना कर रहे हैं। उनकी तपस्या में चारों ओर जल रहे पंच धूणी से ही उन्हें शक्ति मिल रही है। यही शक्ति मानव कल्याण एवं विश्व शांति स्थापित करेगी। अखंड पंच धूणी अग्नि तपस्या में सोमवार को रोहित छापर, अमरजीत तिगरी, नरेश कुमार कलेरा, इन्द्र मोहन अम्बाला, गौरव खानपुर, रोहित बलटाना, कमलजीत नैसी, परवीन पबनावा, कृष्ण कुमार मथाना, मक्खन सिंह श्रीनगर, होशियार सिंह चढूनी व मनसा सिंह ठरवा ने सेवा दी।
अखंड पंच धूणी अग्नि तपस्या कर रहे महंत राजेंद्र पुरी।