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जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने ज्येष्ठ महीने में अग्नि के बीच सूर्य भगवान की उपासना का महत्व बताया।
कुरुक्षेत्र, 6 जून : जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने नौ तपा के बीच चल रही अखंड पंच धूणी कठोर अग्नि तपस्या का समापन करने के उपरांत हरिद्वार में गंगा स्नान किया तथा हवन यज्ञ किया। हरिद्वार गंगा स्नान से लौटने के उपरांत जग ज्योति दरबार में ज्येष्ठ अमावस्या पर भव्य संत समागम एवं भंडारे का आयोजन किया गया। इस मौके पर वीरवार को जग ज्योति दरबार में पूरा दिन संतों द्वारा सत्संग एवं भजन संकीर्तन किया गया। जग ज्योति दरबार में दूर दूर से पहुंचे श्रद्धालूओं के लिए भंडारे का भी आयोजन किया गया। महंत राजेंद्र पुरी ने सत्संग में बताया कि वह पिछले करीब दो दशकों से हर वर्ष केवल जनकल्याण एवं विश्व शांति के लिए भीषण गर्मी में अग्नि तपस्या करते हैं। उन्होंने गर्मी में अग्नि के बीच तपस्या का महत्व बताया कि ज्येष्ठ महीना गर्मी के हिसाब से सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है। इस महीने में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत रहती है। सूर्य के रौद्र रूप से धरती में मौजूद पानी का वाष्पीकरण सबसे तेज हो जाता है जिसके कारण से नदियां और तालाब सूख जाते हैं। हमारी संस्कृति के अनुसार इस महीने जल के संरक्षण का विशेष जोर दिया जाता है। महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि ज्येष्ठ महीने में सूर्य देव, वरुण देव और हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। ज्येष्ठ महीना तप ,व्रत और साधना का प्रतीक है। जिस तरह सोना भट्टी में तप कर और निखरता है उसी तरह ज्येष्ठ महीने में सूर्य की तपती हुई गर्मी में साधक लोग कठोर साधना करके अपने तप को और अधिक निखारते हैं और साधना के श्रेष्ठ और उच्च शिखर पर पहुंचते हैं। इस अवसर पर विजय राठी, अजय, मनोज बतरा, विशाल शर्मा, धीरज शर्मा अंबाला से, अरुण यादव, इंद्रजीत, नरेश रेवाड़ी, बीटू शर्मा पेहवा, संजय बारू, कमल सैनी, सुरेश शर्मा, संजीव शर्मा, राकेश टोनी, पवन शर्मा कैथल, अमन सैनी छापर, सुखबीर सिंह खानपुर, सुभम जैनपुर, मनीष, गुरसेवक सिंह देवीगढ़, शिव कुमार कुरुक्षेत्र व राज कुमार रहेजा इत्यादि सेवक भी मौजूद रहे।
महंत राजेंद्र पुरी सत्संग में अग्नि तपस्या का महत्व बताते हुए।