वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने कहा सनातन संस्कृति में वृक्षों को माना है देवता, पेड़-पौधों की रक्षा करना है मानव का धर्म।
कुरुक्षेत्र, 13 जून : धर्मनगरी के जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी निरंतर देश विदेश में सनातन धर्म, संस्कृति एवं संस्कारों के प्रचार अभियान के साथ आजकल कुरुक्षेत्र के गांव गांव में जाकर सनातन जन जागृति अभियान चला रहे हैं। वीरवार को भी उन्होंने कुरुक्षेत्र के करीब एक दर्जन से अधिक गांवों में सत्संग एवं प्रचार कार्यक्रमों में भाग लिया। इस अवसर पर उनके साथ लाली सिंह, डूंगर सिंह जीरकपुर, मनीष यमुनानगर, राजपाल चौधरी करनाल, संजय पाल सिरसला, अश्वनी शर्मा उड़ाना, कृष्ण कुमार कुरुक्षेत्र, रोहित कुमार खेलन, श्याम लाल बलाना व आदित्य कारसा इत्यादि भी मौजूद रहे। महंत राजेंद्र पुरी ने अपने वीरवार के कार्यक्रमों में सभी लोगों से सनातन धर्म प्रचार अभियान के साथ अधिक से अधिक पौधारोपण करने एवं पक्षियों के लिए पानी व भोजन की व्यवस्था करने की अपील की। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि पेड़ हमारे लिए जीवनदाता है। हमारी सनातन संस्कृति में वृक्ष को देवता का दर्जा दिया गया है। इसके पीछे हमारे पूर्वजों और ऋषियों की सोच रही कि ऑक्सीजन के भंडार के रूप में हमारे जीवन के लिए आवश्यक होने के कारण इन की सुरक्षा हमारा धर्म है। मनुष्य तथा उसके पर्यावरण दोनों परस्पर एक-दूसरे से इतने संबंधित हैं कि उन्हें अलग करना कठिन है। एक प्रकार से मनुष्य प्राकृतिक पर्यावरण का महत्वपूर्ण घटक हैं। सनातन परंपराओं में प्रकृति संरक्षण के सूत्र मौजूद हैं। हिन्दू धर्म में प्रकृति पूजन को प्रकृति संरक्षण के तौर पर मान्यता है। भारत में पेड़-पौधों, नदी-पर्वत, ग्रह-नक्षत्र, अग्नि-वायु सहित प्रकृति के विभिन्न रूपों के साथ मानवीय रिश्ते जोड़े गए हैं। पेड़ की तुलना संतान से की गई है तो नदी को मां स्वरूप माना गया है।
महंत राजेंद्र पुरी श्रद्धालुओं के साथ।