वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
जब कोई अपना एकदम संपर्क बातचीत करना बंद कर देता है तो इंसान टूट जाता है और टूटे हुए इंसान को फिर से जागृत करना ही इंसानियत है : महंत विजय पुरी।
अंबाला बकनौर : सिद्ध बाबा गोमती नाथ धाम बकनौर के महंत विजय पुरी जी महाराज ने बताया कि आज इंसान परिवार और मित्रों से रिश्तों को ऐसे खत्म कर रहा है जैसे दूध में से मक्खी निकाल कर फेंक देते है और फिर खुद अकेला पड़ जाता है।
आज जरूरत है रिश्तों को कायम रखने की अकेलापन दूर रखने की ताकि तनाव से और रोगों से छुटकारा पाया जा सके।
महंत जी ने बताया आज इंसान के पास थोड़ा धन अधिक आ जाए या कोई उच्च पद प्राप्त हो जाए तो अधिकांश इंसान अहंकारी हो जाता है और इंसान को इंसान ही नही समझता बल्कि अहंकार में इतना चूर हो जाता है की अपने आप को समझता है की मेरे बिना उसका कोई काम नही चलेगा। मगर किसी इंसान के मरने के बाद किसी का कोई काम रुका है क्या। जीवन अनमोल है प्रसन्न रहना चाहिए और क्रोध को पास भी नहीं आने देना चाहिए।
महंत विजय पुरी ने बताया कि जब कोई अपना एक दम सारे रिश्तों को खत्म कर बातचीत भी करना बंद कर देता है तो इंसान बुरी तरह से टूट जाता है।
महंत जी ने बताया इंसान को समझना चाहिए की चौरासी लाख योनियों के भुगतान के बाद बहुत पुण्य कर्म से ही इंसान की योनि नसीब होती है और फिर जीवन का एक पल का भी भरोसा नही और फिर इंसान का मानव योनि में जन्म हो यह भी संभव नहीं।
महंत विजय पुरी ने बताया कि मुस्कान मानव हृदय की मधुरता को दर्शाता है और शांति बुद्धि की परिपक्वता को और दोनों का ही होना मनुष्य की संपूर्णता को बताता है।