वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र, 23 जून : गुरुकुल कुरुक्षेत्र में चल रहे आर्य वीरांगना दल के राष्ट्रीय शिविर के आठवें दिन वीरांगनाओं ने प्रातः कालीन सत्र में जहां शारीरिक प्रशिक्षण प्राप्त किया वहीं बौद्धिक सत्र के दौरान रखी गई विशेष परीक्षा भी दी। बौद्धिक परीक्षा में युवतियों से आर्य समाज, वैदिक संस्कृति, अनुशासन, चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व विकास से संबंधित विभिन्न प्रश्न पूछे गये। शिविर संचालिका बहन व्रतिका आर्या ने बताया कि इस परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर भी यह तय किया जाएगा कि परीक्षा देने वाली वीरांगना को आर्य वीरांगना, शाखा नायक, उप व्यायाम शिक्षिका या व्यायाम शिक्षिका आदि कौन-सी श्रेणी का प्रमाण-पत्र दिया जाए। ज्ञात रहे गुरुकुल में यह शिविर राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत की प्रेरणा से सार्वदेशिक आर्य वीर दल न्यास के अध्यक्ष स्वामी डाॅ0 देवव्रत सरस्वती के मार्गदर्शन में चल रहा है। शिविर में देश के विभिन्न प्रदेशों से आयीं लगभग 400 वीरांगनाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। शिविर संचालन में गुरुकुल प्रबंधक समिति सहित वेद प्रचार विभाग के महाशय जयपाल आर्य, जसविन्द्र आर्य, मनीराम आर्य और मुख्य संरक्षक संजीव आर्य विशेष सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
प्रातःकालीन सत्र में स्वामी डाॅ0 देवव्रत सरस्वती के मार्गदर्शन में युवतियों ने जूड़ो-कराटे, लाठी संचलन, डम्बल, लेजियम, तलवारबाजी के साथ विभिन्न आसनों का अभ्यास किया। स्वामी जी के नेतृत्व में सार्वदेशिक आर्य वीर दल के प्रमाणिक और वरिष्ठ व्यायाम शिक्षक कीर्तिपाल आर्य, भैरांे सिंह, रूपेन्द्र सिंह, भागचल आर्य, जीतेन्द्र आर्य, शुभम् आर्य आदि वीरांगनाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे रहे हैं। स्वामी डाॅ0 देवव्रत का कहना है कि हमारी बेटियों का शिक्षित और शारीरिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है। एक बेटी देहरी का वो दीया है जो दो घरों को रोशन करती है। बेटियां ही माँ, बहन बनकर और अपनी संतानों को संस्कारित कर समाज को नई दिशा देने का कार्य करती है। आर्य वीर दल के शिविर का मुख्य उद्देश्य ही समाज में फैली बुराइयों को दूर कर समाज में नई जाग्रति लाना और युवाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनाना है।