संविधान और इसके निर्माता के अपमान से भरा पड़ा है कांग्रेस का इतिहास : गुप्ता

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

विधान सभा अध्यक्ष बोले- संविधान के तिरस्कार की ग्रंथी से पीड़ित हैं कांग्रेसी
1975 में आपातकाल लगा कर बुनियादी स्वतंत्रता को कुचला था
1985 में शाहबानो केस में भी तार-तार हुईं संवैधानिक मर्यादाएं।

चंडीगढ़, 25 जून :
हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मंगलवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पार्टी के नेता बार-बार हाथ में संविधान पुस्तिका लेकर इसके प्रति तिरस्कार को छिपाते हैं। गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस का पूरा इतिहास संविधान और इसके निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अपमान का रहा है। देश के लोगों ने उनकी हरकतों को देखा है और इसीलिए जनता ने उन्हें बार-बार खारिज किया है। ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि बात चाहे 1975 में लगाए गए आपातकाल की हो या शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की हो। संविधान निर्माता के साथ की गई ज्यादातियों की हो या अध्यादेश को सरेआम फाड़ने की, कांग्रेस ने कभी भी संविधान का सम्मान नहीं किया।
गुप्ता ने विधान सभा सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस की संविधान के प्रति भावना का अनुमान संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति इसके व्यवहार से लगाया जा सकता है। कांग्रेस ने कभी भी डॉ. अंबेडकर को आगे नहीं बढ़ने दिया। पहले 1952 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम मुंबई से और उसके बाद 1954 के लोकसभा उप-चुनाव में कांग्रेस ने बंडारा सीट से डॉ. अम्बेडकर को हराने के लिए हर तरह के प्रपंचों का सहारा लिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार किया। बताया जाता है कि कांग्रेस उन्हें संविधान सभा का सदस्य भी नहीं बनने देना चाहती थी। इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार ने अंबेडकर को हराने वाले नारायण काजोलकर को 18 साल बाद 1970 में समाजसेवा के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया। यह सब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को नीचा दिखाने के लिए किया गया।
विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि जिन लोगों ने 50 वर्ष पूर्व 1975 में आज के ही दिन आपातकाल लागू कर बुनियादी स्वतंत्रता को नष्ट किया और देश के संविधान को कुचला उन्हें संविधान के प्रति दिखावा करने का कोई अधिकार नहीं है। गुप्ता ने कहा कि उन्होंने स्वयं और बड़ी संख्या में उनके साथियों ने 1975 में आपातकाल का दंश झेला है। यह आपातकाल सरेआम संविधान का उल्लंघन था। इंदिरा गांधी ने प्रेस की स्वतंत्रता खत्म की और अनेक मौकों पर संघवाद की भावना के साथ खिलवाड़ किया। इस दौरान हर लोकतांत्रिक सिद्धांत की अवहेलना की गई और देश को जेलखाना बना दिया था। कांग्रेस से असहमत होने वाले हर व्यक्ति को प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कहा कि जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया था, वह आज भी कांग्रेस में मौजूद है। इसके कारण यह पार्टी दिनोंदिन गर्त की ओर जा रही है।
ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगे कांग्रेस द्वारा संविधान पर लगाए गए बदनुमा धब्बे हैं। सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेताओं की भूमिका जगजाहिर है। इस दौरान हजारों सिख मारे गए थे। नागरिक अधिकारों का इस प्रकार से हनन दुनिया में नहीं देखा गया। कांग्रेस ने यह सब अपनी सत्ता की भूख को शांत करने के लिए किया।
उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस की संविधान के प्रति तनिक भी आस्था होती तो वह 1985 में शाह बानो मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को शिरोधार्य कर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करती, लेकिन कांग्रेस ने ठीक इसके विपरीत आचरण किया। सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो को तलाक के बाद गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। कांग्रेस ने इसे स्वीकार नहीं किया और राजीव गांधी की सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ में संशोधन कर अदालत के आदेश को प्रभावहीन बना दिया। यह कदम सरेआम न्यायपालिका की स्वतंत्रता और महिलाओं के अधिकारों का हनन था। यह संविधान के अनुच्छेद 44 (समान नागरिक संहिता) की भावना के भी विपरीत था।
राहुल गांधी ने स्वयं भी कभी संवैधानिक मर्यादाओं का पालन नहीं किया। उन्होंने 27 सितंबर 2013 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाए गए एक अध्यादेश की प्रति को सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था। यह अध्यादेश जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में एक संशोधन के लिए लाया गया था, जो दोषी ठहराए गए सांसदों और विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले को रोकने के उद्देश्य से था। राहुल गांधी ने इसे ‘बकवास’ कहते हुए इसके खिलाफ कड़ा विरोध जताया था। इससे राहुल गांधी की विधायी प्रक्रिया के प्रति गंभीरता और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के प्रति भावना को साफ रूप से देखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सत्ता से बाहर होते ही कांग्रेसियों को बेचैनी होने लगती है। वे सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ सिद्धि के लिए राजनीति में सक्रिय हैं। देश की जनता जैसे ही उन्हें दरकिनार करती है तो नए-नए प्रपंच रचना शुरू कर देते हैं। गत लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने संविधान पर खतरा बताकर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया, लेकिन देश के लोग अब समझदार हो चुके हैं और वे कांग्रेसियों के झांसे में नहीं आए। देश ने मोदी के नेतृत्व वाले राजग गठबंधन को स्पष्ट बहुमत देकर तीसरी बार मजबूत सरकार बनाई है। गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस अपनी ही गलतियों के कारण डूबता जहाज बनने जा रही है।
हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ।

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