जीवन में 39 मानवीय प्राकृत गुणों को स्थान दें यही सनातन धर्म है : डा. महेंद्र शर्मा

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161 91877

पानीपत : शास्त्री आयुर्वेदिक अस्पताल पानीपत के संचालक एवं प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डा. महेंद्र शर्मा ने सनातन धर्म पर चर्चा करते हुए बताया कि क्रिकेट मैच की अंतिम बाल पर छक्का और फुटबाल मैच के अंतिम क्षण में किए गए गोल से खेल की सारी स्थिति पलट जाती है। ईश्वर ने मनुष्य में 39 प्राकृत मानवीय गुणों का संचार किया हैं इन में से कुछ गुणों की इस स्क्रिप्ट में चर्चा की है।
इसलिए इन सद्गुणों का जीवन में अपनाते हुए जीवन के हर क्षण का सदुपयोग करें, हम सत्य, धर्म और ईश्वर से जुड़े रहें, विषम से विषमतम परिस्थिति में धैर्य, धर्म को न छोड़ें, साहसी बनें और पुरुषार्थ करते रहें। हम ईश्वर के प्रति की श्रद्धा, निष्ठा, समर्पण, भक्ति और विश्वास को पुष्ट करते हुए साधु , संतमहापुरुष ,गौमाता, माता, पिता, गुरु, ब्राह्मणों और दीन दुखियों की सेवा और गीता के अमृत संदेश त्याग करना सीखें, जीवों पर की गई दया करें , देर सवेर इन कृत्यों का शुभ फल अवश्य मिलना निश्चित है। हम अपने व्यक्तित्व और अंतर्मन में सत्ता और धनबल का अहंकार, कामवासना, लोभ, मोह, मद, भय, मात्सर्य, प्रतिशोध, हिंसा और क्रोध का त्याग करते हुए जीवन में जप, तप, करुणा, दया, सद्व्यवहार, मृदु वाणी, दान, धैर्य और क्षमा को स्थान देते हुए ईश्वर और सत्य से जुड़े रहें। केवल और केवल यही सनातन धर्म है … यदि हमारे जीवन में यह गुण न हुए तो हम सत्तालोलुप और अधर्मी कहलाएंगे। हमारे धर्म को श्री सनातन धर्म कहते हैं जिसमें हिन्दुत्व तो एक विचारधारा है।
यह निर्णय करें कि हम स्वयं को यदि सनातन धर्मी कहते हैं, क्या हम में कितने मानवीय गुण व्याप्त है कि हम अपने आप को आध्यात्मिक और सनातनी कह सकें।
आज और अभी से अध्यात्म से जुड़े यही सत्य है शेष सब प्रचार छद्म है और सब कुछ सत्ता के सुख के लिए है। ईश्वर की ओर से यह तो गारंटी है यदा यदा ही धर्मस्य…. ईश्वर सब कुछ स्वयं ही करते कराने वाले हैं , भगवान के हाथ शांति संतोष की स्थापना के लिए बांसुरी भी है अधर्म की मिटाने के लिए सुदर्शन चक्र भी। ईश्वर तो हमें चेतावनी दे कर क्षण भर असंतुलन समाप्त कर के चले जाते हैं, किसी को पता भी नहीं चलने देते है। 2013 में भगवान ने श्री केदार नाथ में मनुष्य द्वारा स्थापित प्रकृति में असंतुलन को दूर किया था, इससे पहले लातूर सुनामी और गुजरात के रण कच्छ में भी कुदरत ने रंग दिखाया था। इस्लामिक धर्म और ईसाईयत में संतुलन स्थापित करने के लिए मध्य एशिया और यूक्रेन रूस में युद्ध करवा रखा है कि नहीं। हम महाभारत को न जाने क्यों भूल जाते हैं । ईश्वर ने किसी भी धर्म में किसी भी व्यक्ति विशेष या समुदाय या संस्थान को कोई आदेश जारी नहीं कर रखा कि वह धर्म क्षेत्र में किसी प्रकार की हस्तक्षेप कर फरमान और फतवे जारी करें। परमात्मा हम को केवल धर्म पर चलने का आदेश दे रखा है। हम अपनी कमजोरियों को देखें कि हमारे देश में धर्मांतरण क्यों हो रहा है। हम उपेक्षित समाज का उत्थान करें ,उनके लिए निशुल्क शिक्षा भोजन वस्त्र और निवास की व्यवस्था क्यों नहीं करते। अब धर्मांतरण तलवार के बल पर न होकर धन से हो रहा है। हम भी निम्न आय वर्ग की आर्थिक सहायता कर उन का उत्थान कर धर्मांतरण रोक सकते हैं। काम हिंसा हत्या क्रोध प्रतिशोध से सत्ता पर नियंत्रण तो हो सकता है लेकिन यह भी सत्य है धर्म में इनका कोई स्थान ही नहीं है।
आचार्य डॉ. महेंद्र शर्मा “महेश” पानीपत।

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