प्राकृतिक खेती से स्वस्थ जीवन, भूमि सुधार व पर्यावरण-संरक्षण को मिलेगा बल : नवीन जिन्दल

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

सांसद नवीन जिन्दल और पद्मश्री डॉ. हरिओम ने प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाने पर किया मंथन।
सासंद नवीन जिन्दल और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. हरिओम के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात कुरूक्षेत्र में हुई।

कुरुक्षेत्र : पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, कृषि क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देने के प्रति समर्पित सांसद नवीन जिन्दल ने डॉ. हरिओम से उनके कार्यो, सेवाओं और उपलब्धियों पर एक विस्तृत जानकारी ली। प्राकृतिक खेती के प्रति देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का भी विशेष लगाव है। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की प्रेरणा से धर्मनगरी कुरूक्षेत्र में लगभग 180 एकड़ में प्राकृतिक खेती की जा रही है। प्राकृतिक खेती, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करती है जिससे मिटटी, जलस्त्रोत और वायु प्रदूषण में कमी आती है। प्राकृतिक खेती मिटटी की उर्वरता को बनाए रखने और बढ़ानें में मदद करती है। इससे रासायनिक अवशेष नही होने के कारण उत्पादित खाद्य पदार्थ अधिक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। प्राकृतिक खेती के अंतर्गत महंगे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की आवश्यकता नही होती जिसके कारण की किसानों की लागत में कमी आती है।
सांसद नवीन जिन्दल ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाने स्वस्थ जीवन, भूमि सुधार व पर्यावरण-संरक्षण को बल मिलेगा। प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए एक जन अभियान की नितांत आवश्यकता है ताकि जनमानस को इसकी उपयोगिता की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। उन्होंने डॉ. हरिओम को आश्वासन दिया कि प्राकृतिक कृषि को अपने कुरूक्षेत्र संसदीय क्षेत्र में जन-जन तक पहुंचाने और किसानों को इसका प्रशिक्षण दिलाने के लिए हर प्रकार की मदद करने के लिए तत्पर हैं।
डॉ. हरिओम ने सांसद नवीन जिन्दल के साथ अपने सभी अनुभव सांझा किए। उन्होंने अपने द्वारा दिये जा रहे प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण की विस्तृत जानकारी दी। प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों के बढ़ते रूझान से भी अवगत कराया। उल्लेखनीय है कि डॉ. हरिओम ने 36 साल तक चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में अनेक पदों पर सेवाएं दी है। डॉ. हरिओम ने लगभग दस हजार से अधिक किसानों, कृषि विज्ञान केंद्रों के आईसीएआर के वैज्ञानिकों और नेपाल से आये लोगों को प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण दिया है। इतना ही नही गुजरात से आए आईएएस अधिकारियों के दल को प्राकृतिक खेती विषय पर प्रशिक्षण भी दिया है। डॉ. हरिओम की देखरेख में कुरूक्षेत्र की लगभग 180 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती की जा रही है। यहां पर डॉ. हरिओम एक वैज्ञानिक और तकनीक विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है। कुरूक्षेत्र के आस पास के लोगों को प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण देकर उनको आत्मनिर्भर बनाने का कार्य भी किया है।

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