ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (ए.आई.पी.ई.एफ.) के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय विद्युत मंत्री से मुलाकात की व केंद्र से विद्युत (संशोधन) विधेयक न लाने की मांग की

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुरुक्षेत्र, 4 जुलाई : ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (ए.आई.पी.ई.एफ.) के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय विद्युत मंत्री से मुलाकात की और केंद्र से विद्युत (संशोधन) विधेयक न लाने की मांग की। ए.आई.पी.ई.एफ. के प्रवक्ता वी.के. गुप्ता ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर से नई दिल्ली में मुलाकात की और विद्युत (संशोधन) विधेयक न लाने और निजीकरण के असफल प्रयोग को रोकने की मांग की।
उन्होंने बताया कि विद्युत अधिनियम 2003 में ऐसे सभी प्रावधान हैं, जिनके माध्यम से आम जनता को बेहतर और सस्ती बिजली दी जा सकती है। विद्युत मंत्री ने कहा कि वे ज्ञापन का अध्ययन करेंगे और सभी मुद्दों पर ए.आई.पी.ई.एफ. के साथ विस्तृत चर्चा करेंगे।
प्रवक्ता वी.के. गुप्ता ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में शैलेंद्र दुबे अध्यक्ष, पी रत्नाकर राव महासचिव, पदमजीत सिंह मुख्य संरक्षक, अजयपाल सिंह अटवाल महासचिव पी.एस.ई.बी. ई.ए. और ए.के. जैन प्रभारी कानूनी प्रकोष्ठ शामिल थे। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि केंद्र सरकार ने विद्युत वितरण के क्षेत्र में सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का उपयोग करके निजी घरानों को बिना किसी बाध्यता के बिजली वितरण की अनुमति देने के लिए विद्युत (संशोधन) विधेयक पारित करने का प्रयास किया। निजी घराने केवल लाभदायक वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को ही बिजली प्रदान करेंगे और इस प्रकार सरकारी वितरण कंपनियों से लाभदायक क्षेत्र छीन लेंगे। रत्नाकर राव ने कहा कि उड़ीसा में शुरू किया गया संपूर्ण विद्युत वितरण क्षेत्र के निजीकरण का प्रयोग पूरी तरह विफल हो गया है। यहां तक कि कुछ राज्यों में शहरी वितरण फ्रेंचाइजी प्रणाली का प्रयोग भी बुरी तरह विफल रहा। सरकारी क्षेत्र की विद्युत वितरण कंपनियों को मजबूत करके बेहतर विद्युत आपूर्ति का मार्ग प्रशस्त किया जाना चाहिए। पदमजीत सिंह ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और पुडुचेरी के निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है, जबकि इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में विद्युत वितरण देश के स्थापित मानकों के अनुसार बहुत बेहतर है। केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण के निजीकरण के निर्णय को वापस लेना व्यापक जनहित में होगा।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि राज्य वितरण कंपनियों को निजी घरानों के साथ 25 साल के लिए किए गए इन बिजली खरीद समझौतों की समीक्षा करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि इनमें से कुछ बिजली खरीद समझौते बहुत महंगे थे। विद्युत अधिनियम 2003 में ऐसा कोई संशोधन नहीं किया जाना चाहिए जिससे राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित हो और ऐसे कोई संशोधन नियम जारी नहीं किए जाने चाहिए। जिससे राज्यों के अधिकारों का हनन हो। बेहतर प्रदर्शन के लिए बिजली क्षेत्र में शीर्ष प्रबंधन पदों पर केवल विशेषज्ञ बिजली इंजीनियरों को ही नियुक्त किया जाना चाहिए।
केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर से ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (ए.आई.पी.ई.एफ.) का प्रतिनिधिमंडल मिलते हुए।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

हरियाणा संयुक्त कर्मचारी मंच की प्रदेश स्तरीय बैठक 7 जुलाई को रोहतक में होगी

Thu Jul 4 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Email वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक। कुरुक्षेत्र में यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कुलवंत शर्मा ने कहा कर्मचारियों की मांगों को सरकार अनदेखा कर रही है। कुरुक्षेत्र, 4 जुलाई : हरियाणा गवर्नमेंट पी.डब्ल्यू.डी. मैकेनिकल वर्कर्स यूनियन रजिस्ट्रेशन नंबर 41 मुख्यालय चरखी दादरी […]

You May Like

Breaking News

advertisement