वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र : कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के अध्यक्ष ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि पंचांग के अनुसार हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीनों में से एक श्रावण मास माना जाता है। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए इसे शुभ माना जाता है। पूरे श्रावण मास विशेष पूजा,व्रत,अनुष्ठान और त्यौहार होते हैं, जिसमें श्रावण सोमवार व्रत, मंगला गौरी व्रत, हरियाली तीज, नाग पंचमी ,शिवरात्रि व्रत और रक्षा बंधन आदि शामिल हैं। श्रावण मास 22 जुलाई 2024 को शुरू होकर 19 अगस्त 2024 को समाप्त होगा। इस बार श्रावण मास में अद्भुत संयोग बन रहा है। श्रावण मास 22 जुलाई ,सोमवार को प्रीति योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और श्रवण नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। ऐसे में पूजा और भक्ति के लिए ये पूरा दिन विशेष लाभदायक है। मान्यता है कि इन शुभ योग में महादेव की पूजा अर्चना करने पर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्रावण मास में पांच सोमवार पड़ना बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू कैलेंडर का पांचवा महीना श्रावण मास होता है। इसे सावन का महीना भी कहते हैं।श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। यदि सोमवार को जल चढ़ाकर या व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाए तो उनकी कृपा मिलती है। श्रावण सोमवार को व्रत रखने का भी विधान है। सोमवार को शिव-पार्वती की एक साथ पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। कुंवारी कन्याओं को ये व्रत रखने से योग्य वर की प्राप्ति होती है।
श्रावण मास का महत्व : श्रावण मास का प्रत्येक दिन अत्यंत फलदायी होता है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार का विशेष महत्व होता है। जो व्यक्ति श्रावण सोमवार का व्रत रखता है उसका पारिवारिक जीवन सुखी रहता है। भगवान शिव की पूजा करने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं इसलिए उनको भोलेनाथ भी कहते है । श्रावण सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है।
श्रावण सोमवार : श्रावण का पहला सोमवार व्रत – 22 जुलाई, श्रावण का दूसरा सोमवार व्रत – 29 जुलाई,श्रावण का तीसरा सोमवार व्रत – 5 अगस्त, श्रावण का चौथा सोमवार व्रत – 12 अगस्त,श्रावण का पांचवां सोमवार व्रत – 19 अगस्त,श्रावण मास की शिवरात्रि : श्रावण महीने की शिवरात्रि बहुत विशेष होती है। प्रत्येक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। शुक्रवार, 2 अगस्त को श्रावण मास की शिवरात्रि पड़ेगी। श्रावण कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरम्भ 2 अगस्त को दोपहर 3:26 बजे से होगा और 3 अगस्त को दोपहर 3:50 बजे समाप्त होगा।
शिवलिंग पूजन और महामृत्युंजय अनुष्ठान :
सावन के दिनों में शिवलिंग पर जल, दूध, गंगा जल और शहद अर्पित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ ही, बेलपत्र, धतूरा और अक्षत अर्पित किए जाते हैं। शिवलिंग की नियमित पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है। महामृत्युंजय अनुष्ठान अच्छे स्वास्थ्य के लिए विद्वान ब्राह्मण और आचार्यों द्वारा होता है I
भजन-कीर्तन :
श्रावण मास में शिव भजन, कीर्तन और रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। यह भजन और कीर्तन भगवान शिव की भक्ति और प्रसन्नता के लिए होते हैं।
रुद्राभिषेक :
रुद्राभिषेक एक विशेष पूजा विधि है जिसमें विद्वान ब्राह्मण द्वारा यजमान से शिवलिंग पर बेलपत्र, पुष्प, जल, और अन्य सामग्रियों से अभिषेक किया जाता है। यह विधि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए की जाती है।