अपने कथित कारनामों को उजागर करने से बच रहे निगम अधिकारियों और कर्मचारियों
अब लोक सूचना आयुक्त उत्तराखंड को भेजी गई अपील उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी
बहुत से अधिकारियों और कर्मचारियों के तथा कथित कारनामे उजागर होने की संभावना
करोड़ों की सरकारी जमीन पर अवैध रूप से किया गया कब्जा दो मंजिला मकान का निर्माण किया गया
ब्यूरो ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड
रुद्रपुर – कहावत है जब साया भैयो कोतवाली फिर डर कहे का कुछ ऐसी ही कहावत को चरितार्थ करने पर अमादा है नगर निगम रुद्रपुर निगम के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा राज्य सरकार को लाखों करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है,एक संगीन मामला नगर निगम रुद्रपुर की गले की हड्डी बन गया है जिसे न चंद अधिकारी और कर्मचारी निगल पा रहे और न ही उगल पा रहा है, निगम के आला अधिकारियों के आदेशों को भी दर किनार कर इस मामले को दबाने का भरसक प्रयास किया है, जबकि करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर कुंडली मारकर बैठे निगम कर्मचारी कपूर सिंह सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं, मतलब नगर निगम और जिला प्रशासन का पीला पंजा महज गरीबों को उजड़ने के लिए ही गर्जता है जबकि खुद नगर निगम रुद्रपुर के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सरकार की करोड़ों रुपए की जमीन को खुर्द-बुर्द कर दिया गया है,दर असल नगर निगम रुद्रपुर में तैनात कपूर सिंह ने बीते चंद सालों पहले किच्छा रोड़ स्थित पुराने एस डी एम कोर्ट के एक खंडहर पढ़ें भवन पर अवैध रूप से कब्जा कर लाखों करोड़ों की सरकारी जमीन पर कब्जा कर वहां चंद महीने में दो मंजिला मकान का निर्माण कर लिया, जबकि इससे पहले इस जमीन पर एक खंडहर में सलीम अहमद नामक व्यक्ति का सस्ते गल्ले का डिपो स्थापित था, इतना ही नहीं कपूर सिंह ने नगर निगम के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों से साठ गांठ कर उनकी मुठ्ठी गर्म कर इस अवैध इमारत पर हाउस टैक्स भी लागू करा लिया जबकि नगर निगम रुद्रपुर के अधिकारियों का कहना है कि हाउस टैक्स साल 2010 में लागू किया गया था, लेकिन साल 2010 में इस जमीन पर कोई निर्माण नहीं किया था और वहां सस्ते गल्ले का डिपो था, इस मामले में जब नगर निगम रुद्रपुर से जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगी गई तो जन सूचना अधिकार/सहायक नगर आयुक्त दीपक गोस्वामी ने बिना किसी उच्च स्तरीय जांच पड़ताल के सूचना उपलब्ध कराई की नगर निगम रुद्रपुर के पास इससे संबंधित कोई सूचना उपलब्ध नहीं है और अपीलीय अधिकारी उप नगर आयुक्त शिप्रा जोशी से अपील करने की बात कहकर सूचना को भटकने का प्रयास किया गया, जिसके बाद आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी नगर आयुक्त शिप्रा जोशी से अपील करते हुए इस मामले की जांच कर सूचना उपलब्ध कराने की अपील की इस अपील पर उप नगर आयुक्त शिप्रा जोशी ने 5 जुलाई को सुनवाई करते हुए जन सूचना अधिकार दीपक गोस्वामी को इस मामले में जिला विकास प्राधिकरण तहसील कार्यालय सहित अन्य विभागों से सूचना एकत्रित कर सूचना एक सप्ताह में उपलब्ध कराने के आदेश दिए इस बावत एक पत्र आवेदक को भी भेजा गया, लेकिन 30 जुलाई तक भी जन सूचना अधिकार दीपक गोस्वामी ने इस मामले किसी तरह की कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई जिसके बाद अब आवेदनकर्ता ने उत्तराखंड के मुख्य सूचना आयुक्त को शिकायती पत्र सहित अपील करते हुए संबंधित सूचना अधिकार दीपक गोस्वामी और निगम कर्मचारी कपूर सिंह के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने की अपील की है वहीं कुमाऊं मंडल आयुक्त दीपक रावत सहित मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी और शहरी विकास सचिव देहरादून सहित जिला अधिकारी उदयराज सिंह को पत्र लिखकर इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कर तथा कथित निगम अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है, इसके अलावा इस मामले में मा उच्च न्यायालय उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है,आवेदक का कहना है कि जिस तरह उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भगवानपुर में रह रहे गरीब तबके के लोगों को बेघर कर दिया था और सरकारी नुमाइंदे खुलेआम करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर आलीशान महल बना रहे हैं ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए, फिलहाल इस मामले में शासन और प्रशासन सहित मा न्यायालय की ओर से क्या कार्रवाई अमल में लाई जाएगी यह भी जल्द साफ हो जाएगा, सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि नगर निगम में तैनात कर्मचारी कपूर सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद मिलने वाले सरकारी फंड पर रोक लगाने की मांग की गई है और अवैध रूप से सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले कपूर सिंह के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की गई है।