दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा श्री हनुमान मंदिर में दिव्या गुरु के नाम से एक विशेष कार्यक्रम का किया गया आयोजन।

फिरोजपुर 5 अगस्त [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा एल. ब्लाक श्री हनुमान मन्दिर में दिव्य गुरु के नाम से एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ एक प्रार्थना से किया गया जिसका गायन साध्वी सोनिया भारती, साध्वी हिमाक्षी भारती ने किया।
सत्संग प्रवचनों में गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य डॉ. सर्वेश्वर जी ने बताया कि यह सारा संसार कर्म के सिद्धांत के अधीन है। ईश्वर ने इस सृष्टि का निर्माण किया और इसे कर्म के सार्वभौमिक नियम में बांध दिया। कर्म का यह सिद्धांत कहता है कि जो जैसा कर्म करेगा वो वैसा ही फल पाएगा। कर्म करने का चुनाव तो हमारा होता है लेकिन उसका फल भोगने का चुनाव हमारा नहीं है, उसके लिये तो हम बाध्य हैं। इंसान ने एक बार कर्म किया तो उसका फल उसे वैसे ही ढूंढ लेता है, जैसे हज़ार गायों के झुंड में एक बछड़ा अपनी माँ को ढूंढ लेता है। इंसान अपने जीवन में अनगिनत कर्म करता है, कुछ अच्छे होते हैं, कुछ बुरे। और इन्हीं कर्मों में बंधा जीव सारा जीवन सुख और दुःख की चक्की में पिसता रहता है। और ये कर्म चक्र ही तो है जो हमारे आवागमन का कारण बना हुआ है। आखिर इस कर्म चक्र से मुक्ति का उपाय क्या है? अक्सर लोग कहते हैं कि जीवन भर अच्छे कर्म करो, सबका भला करो, किसी का दिल न दुखाओ। बस अच्छा करो और अच्छा पाओ। लेकिन जंज़ीर चाहे सोने की हो या लोहे की, वो काम तो बांधने का ही करती है। पिंजरा सोने का हो या लोहे का, वो बन्धन का ही कारण बनेगा। ऐसे ही कर्म चाहे अच्छे हों या बुरे, वो बन्धन के ही हेतु हैं। फिर कर्म बन्धन से मुक्ति का उपाय क्या है? जिस प्रकार एक बीज को अगर अग्नि में भून दिया जाए तो वह अंकुरित नहीं हो सकता। ठीक इसी प्रकार जब हमारे कर्म बीज भी ब्रह्मज्ञान की अग्नि में दग्ध होते हैं, तभी इस कर्म बन्धन से मुक्ति सम्भव है। और यह ब्रह्मज्ञान प्रदान करते हैं दिव्य गुरु। जब जीवन में दिव्य गुरु का आगमन होता है, तब वह हमें ईश्वर के ज्योति स्वरूप का हमारे घट में दर्शन करवा हमारे भीतर ही ब्रह्मज्ञान की अग्नि प्रज्ज्वलित कर देते हैं। और फिर गुरु आज्ञा में चलते हुए एक साधक इस ज्ञानाग्नि में अपने सब कर्म स्वाहा कर लेता है और सदा-सदा के लिए मोक्ष का अधिकारी हो जाता है। इसलिए हमें भी ज़रूरत है एक ऐसे दिव्य गुरु की जो हमारे भीतर ही हमें ईश दर्शन करवा हमें कर्मों की कारा से मुक्त कर दे।
“सारे तीर्थ धाम आपके चरणों में है गुरूदेव प्रणाम आपके चरणों में”भजन का गायन निशा भारती जी ने किया।
स्वामी धीरानंद जी ने सभी साधकों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया। पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। रोटरी क्लब के सहयोग से उपस्थित सभी लोगों को तुलसी के पौधे भी वितरित किए गए। कार्यक्रम में प्रमुख समाजसेवी विजय गोयल,परवीन नागपाल, सुदर्शन बत्रा, जगदीश सिडाना, डॉ हिमांशु आहूजा, डॉ कुसुम जैन, पूर्व पार्षद अशोक मेठिया समेत सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। सारी संगत के लिए भंडारे का प्रबन्ध किया गया।

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