दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)
बरेली : विश्व प्रसिद्ध खानकाह-ए-नियाजिया के प्रबंधक सिब्तैन हसन नियाजी उर्फ शब्बू मियां को गमगीन माहौल में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। बुधवार को उनके जनाजे में जनसैलाब उमड़ा। लोगों ने नम आंखों से उनके अंतिम दीदार किए।
बरेली के खानकाह-ए-नियाजिया के प्रबंधक सिब्तैन हसन नियाजी उर्फ शब्बू मियां शब्बू मियां (66) का मंगलवार देर शाम इंतकाल हो गया। वह कई महीनों से बीमार चल रहे थे। उन्होंने अपने घर में आखिरी सांस ली। उनके इंतकाल से उनके चाहने वालों में गम की लहर दौड़ गई। रात से ही लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। सुबह तक खानकाह में जनसैलाब उमड़ पड़ा। बुधवार दोपहर उनका जनाजा खानकाह परिसर में लाया गया।
खानकाह के सज्जादानशीन शाह मेहंदी मियां ने नमाज-ए-जनाजा अदा कराई। नमाज के बाद दुआ की गई। खानकाह से अकीदत रखने वाले हजारों लोग शामिल हुए। जनाजे में शामिल होने के लिए दिल्ली, मुंबई, आगरा, अजमेर शरीफ से भी शब्बू मियां के चाहने वाले आए। गमगीन माहौल में गरीब नवाज मस्जिद परिसर स्थित खानकाही कब्रिस्तान में शब्बू मियां को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उनके जनाजे में तमाम लोग रोते बिलखते नजर आए।
सौहार्द और मोहब्बत की मिसाल थे शब्बू मियां…
बरेली की नायाब शख्सियत शब्बू मियां सौहार्द और मोहब्बत की मिसाल थे। उन्होंने खानकाह-ए-नियाजिया के मुंतजिम की जिम्मेदारी संभालते हुए दीन-दुनिया के तमाम काम को अंजाम दिया। माना जाता है कि वह इंसानियत के अलमबरदार रहे और सूफी विचारधारा के संदेश को आगे बढ़ाते हुए हर एक को गले लगाया। वह सभी मिलने वालों का दिल जीत लेते थे।
धर्म, संप्रदाय, जाति-बिरादरी, ऊंच-नीच और सियासी मतभेद से ऊपर उठ कर उन्होंने हर एक को अपनाया और सब के लिए दरवाजे खुले रखे। हर परेशान हाल की मदत के लिए हमेशा खड़े रहते थे। उन्हें देश-विदेश में होने वाली बड़ी-बड़ी सूफी कॉन्फ्रेंस में उन्हें आमंत्रित किया जाता था।
उनके भाई जाहिद मियां नियाजी ने बताया कि शब्बू मियां पूर्व सज्जादा हजरत शाह हसनी मियां नियाजी के खलीफा रहे और 45 साल तक खानकाह के निजाम को बखूबी संभाला। आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां ने भी दुख का इजहार किया। समाजवादी पार्टी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर दुख जताया है.!