MP एससी एसटी कोटे में कोटा का फैसला ऐतिहासिक एवं क्रीमी लेयर लागू करने का कोर्ट की टिप्पणी है, निर्देश नहीं : डॉ. चमकेल

स्टेट हेड/ राहुल कुशवाहा मध्य प्रदेश,,8889284934

एससी एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देश के विभिन्न हिस्सों में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही हैं। समाजिक एवं राजनीतिक दल भी अपनी अपनी प्रतिक्रिया दें रहे हैं। ऐसे में दलित चिंतक डॉ. विवेक चमकेल ने अपने विचार रखते हुये फैसले कि जानकारी दिया और कहा कि एससी-एसटी से क्रीमी लेयर लागू करना सुप्रीम कोर्ट के टिप्पणी (ऑब्जर्वेशन) हैं, निर्देश नहीं । यानी कि सुप्रीम कोर्ट की यह बात फैसले में व्यक्त किया गया (उसमें से एक न्यायमूर्ति जी) का उनका विचार भर है जो उन्होंने सुझाव के रूप में दिया है कोर्ट ने ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया हैं ।
डॉ. चमकेल ने कहा कि यह समझना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामला गया था जिस पर सात जजों की पीठ ने फैसला दिया हैं। पंजाब सरकार ने 2005-06 में एक कानून बनाया था जिसमे अनुसूचित जाति एससी के आरक्षण में से 50% हिस्सा वाल्मिकी और मजहबी सिखों को देने की बात थी। हाई कोर्ट ने उस कानून को यह कहते हुए रद कर दिया था की अनुच्छेद 341 के उपवर्गीकरण की बात नहीं करता हैं तो आप उसके विरुद्ध नहीं जा सकते । वह मामला सुप्रीम कोर्ट में आया । उसके बाद आंध्र प्रदेश का एक मामला आया उसमे भी इसी तरह की बात थी। उपवर्गीकरण पर एक फैसला तीन जजों की पीठ का था और एक पांच जजों को पीठ का था जिसमे परस्पर विरोध था । इसलिए इन मामलों पर साथ जजों की पीठ ने विचार किया और फैसला दिया। कई राज्य इसमें शामिल थे जिन्होंने निर्देश मांगा था।
डॉ. चमकेल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने 01 अगस्त 2024 को फैसला सुनाते हुए राज्य सरकारों को ये निर्देश दिया है कि आप चाहो तो अनुसूचित जाति वर्ग में उप वर्गीकरण कर सकते हैं। ऐसा करना असंवैधानिक नहीं होगा। जोकि हम सभी वंचित समाज माननीय उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का समर्थन करते हुए आभार व्यक्त करते हैं और आपके माध्यम मध्य प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द इस उपवर्गीकरण के फैसले को मध्य प्रदेश में लागू किया जाए ताकि आरक्षण से वंचित समाज भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ सके इसके लिए हम सभी वंचित समाज जन डॉ. मोहन सरकार का कृतज्ञ आभारी रहेंगे।
उल्लेखनीय हैं कि सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ ने छह-एक के बहुमत से फैसला दिया था जिसमे कहा गया था कि एससी वर्ग के अरक्षण में ज्यादा जरूरतमंदो को आरक्षण का लाभ देने के लिए उपवर्गीकरण किया जा सकता हैं ।

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