शिक्षक वास्तविक रूप से किसी भी राष्ट्र एवं समाज का दर्पण होता है : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम संपन्न।

कुरुक्षेत्र 5 सितम्बर : गुरु शिष्य परम्परा भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति की एक पवित्र एवं महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके अनेक स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में अंकित है। शिक्षक उस मली के समान है, जो एक बगीचे को अलग रूप रंग के फूलो से सजाता है। शिक्षक छात्रों को कांटो पर भी मुस्कराकर चलने के लिए प्रेरित करता है। शिक्षक वास्तविक रूप से किसी भी राष्ट्र एवं समाज का दर्पण होता है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. मिश्र ने शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यर्थियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त की। कार्यक्रम का शुभारम्भ भारतमाता एवं योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र के समक्ष माल्यार्पण, पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने समाज में शिक्षक के महत्व अपने विचार प्रस्तुत किये।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा किसी भी समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण होती है। जैसा कि चाणक्य ने स्पष्ट कहा है शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं। समाज में शिक्षक की महत्वता को रेखांकित करते हुए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने लिखा है कि समाज में अध्यापक का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को बौद्धिक परम्पराएँ और तकनीकी कौशल पहुंचाने का केंद्र है और सभ्यता के प्रकाश को प्रज्वलित रखने में सहायता देता है। किसी भी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा पर निर्भर करता है। इसलिए आज हमारे समक्ष कई प्रश्न हैं कि आखिरकार कैसी शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए जो हमारे समाज के अनुकूल हो और विविधता और असमानता वाले भारतीय समाज में शिक्षा व्यवस्था को कैसे समावेशी बनाया जाए, जिससे विद्यार्थियों का समग्र निर्माण हो सके।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा शिक्षक हमें विभिन्न विषयों के बारे में सिखाते हैं, हमारी जिज्ञासा शांत करते हैं और हमें नई चीजें सीखने के लिए प्रेरित करते हैं। शिक्षक न केवल हमें ज्ञान देते हैं बल्कि हमारा चरित्र निर्माण भी करते हैं। वे हमें अच्छे मूल्यों और आदर्शों से परिचित कराते हैं, हमें सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं और हमारी कमजोरियों को दूर करने में मदद करते हैं। अंततः वे हमें सांसारिक तौर पर एक सफल व्यक्ति बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। सबसे अच्छा शिक्षक एक आध्यात्मिक गुरु माना जाता है जो न केवल सांसारिक ज्ञान प्रदान करता है बल्कि आध्यात्मिक रूप से मार्गदर्शन करता है, उनके चरित्र को आकार देता है और समाज में महत्वपूर्ण योगदान देता है। कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के विद्यार्थी, आचार्य, सदस्य एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।

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