दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)
बरेली : शुभम् मेमोरियल साहित्यिक सामाजिक जनकल्याण समिति के तत्वावधान में साहित्यकार इंद्रदेव त्रिवेदी के आवास बिहारी पुर खत्रियान पर साहित्यकार मनोज कुमार मनोज और गजेंद्र कुमार का सारस्वत अभिनंदन माल्यार्पण, स्मृति चिन्ह् और प्रशस्ति पत्र देकर मुख्य अतिथि विनय सागर, कार्यक्रम अध्यक्ष , संस्था अध्यक्ष सत्यवती सत्या और इंद्रदेव त्रिवेदी द्वारा किया गया। इस अवसर पर दोनों साहित्यकारों मनोज कुमार मनोज एवं गजेंद्र कुमार ने अपने सम्मान पर संस्था शुभम् मेमोरियल समिति का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा मां शारदे की मूर्ति पर माल्यार्पण से हुआ। कवि मनोज दीक्षित टिंकू ने मां वाणी की वंदना प्रस्तुत कर वातावरण काव्यमय कर दिया।
इस अवसर पर कवियों और शायरों ने अपनी रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं को आनंद दिला दिया। अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कवि रामकुमार अफरोज ने बचढ़िया शायरी से समां बांध दिया –
” दिनकर की देशभक्ति से अवगत ही हुए
इतिहासकार आप क्यों विधिवत् नहीं हुए।
दुनिया में ज्ञानवान बहुत से हुए मगर
इतिहास में अनेक तथागत नहीं हुए।। “
अपनी कविता पढ़ते हुए कवि राम प्रकाश सिंह ओज की पंक्तियां खूब सराही गईं –
” रेलयात्रियों की मनुज जान अब खतरे में है
और हर एक व्यक्ति का सम्मान अब खतरे में है।। “
संस्था की अध्यक्ष सत्यवती सत्या की इन पंक्तियों ने सबका मन मोह लिया –
” मैं जानती हूं कि मुश्किल ये सफर मेरा है
रहूंगी पा के मैं मंजिल वो साथ तेरा है। “
साहित्यकार इंद्रदेव त्रिवेदी का ये गीत गोष्ठी में छा गया-
” अब मुलाकात उनसे होती नहीं
और अब बात उनसे होती नहीं।
आजमा वो चुके हैं सब घातें,
अब नयी घात उनसे होती नहीं।। “
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विनय सागर की ग़ज़ल समसामयिक रही-
” सारे अज़ीज़ उनकी हिमायत में आ गये
मजबूर होके हम भी सियासत में आ गये।। “
कार्यक्रम अध्यक्ष रणधीर प्रसाद गौड़ धीर की रचना कवि गोष्ठी में खूब गूंजी –
” सूत्र सब बदल गये समीकरण बदल गये
गति की दर बदल गये त्वरण बदल गये।। “
अन्य प्रमुख कवियों और शायरों में ब्रजेंद्र अकिंचन, दीपक मुखर्जी दीप, मनोज दीक्षित टिंकू, राम धनी निर्मल, राजकुमार अग्रवाल, ए के सिंह तन्हा, विशाल शर्मा बिंदु सिंह, मदन शर्मा, अरुण शुक्ला, नरेंद्र पाल सिंह ने भी काव्यपाठ कर श्रोताओं को खूब गुदगुदाया ।
कार्यक्रम का सफल संचालन शायर ग़ज़लराज़ ने किया और सभी का आभार कवि इंद्रदेव त्रिवेदी ने व्यक्त किया।