वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
चंडीगढ़ : ओशोधारा नानक धाम मुरथल के संस्थापक समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने ओंकार का महत्त्व साधकों को बताया कि ओंकार स्वयं ब्रह्म है। ओंकार को ऋषि मुनियों और अन्य धर्मों में अनाहत, नाद,नाम , राम, बाणी ,सदा ऐ आसमानी, लागोस , ॐ आदि नामों से बताया है।
गुरु नानक देव ने एक ओंकार सतनाम कहा है। नानक नाम जहाज है चढ़े सो उतरे पार।
सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है । सनातन धर्म में ध्यान और ओंकार का बहुत महत्व है। ओंकार से दूर होते जाना नर्क है और ओंकार के पास आना स्वर्ग है।
ओंकार से जुड़ना ध्यान है और ओंकार के साथ एक होना ही समाधि है। बिनु सत्संग विवेक ना होई , राम कृपा बिना सुलभ न सोई। ध्यान से प्रज्ञा बढ़ती है और प्रज्ञा से ध्यान बढ़ता है। सनातन धर्म में वैज्ञानिकता समाहित है मानो मत जानो।
अनुभवी जीवित सद्गुरु के सानिध्य में ही आत्मा और परमात्मा के विभिन्न आयाम जैसे नाद, नूर, अमृत,शब्द,ऊर्जा ,दिव्य, आत्मज्ञान, आनंद, प्रेम, अद्वैत, कैवल्य, निर्वाण , सहज,चैतन्य, अभय , परमपद और सच्चिदानंद आदि के अनुभव हो सकते है अन्यथा प्राणी बिना सद्गुरु के आध्यात्म पथ में भटक ही जाता है। सभी राज्य संयोजकों को कार्य भार अच्छे प्रयास, सफलता और निष्ठा पूर्वक करने हेतु बधाई दी।
ओशोधारा मैत्री संघ हिमाचल प्रदेश के संयोजक आचार्य कुंज बिहारी जी और क्षेत्रिय संयोजक आचार्य डा. सुरेश मिश्रा ने बताया कि 28 से अधिक अलग- अलग भारत के विभिन्न स्थानों के साथ नेपाल के साधकों ने भी 25 से 27 अक्टूबर 2024 में आयोजित ध्यान योग शिविर में समर्थगुरु द्वारा नाददीक्षा और माला दीक्षा ऑनलाइन प्राप्त की । एक साथ 1000+ साधकों ने ध्यान योगा कार्यक्रम में रिकॉर्ड बनाया और ओंकार दीक्षा समर्थुरु सिद्धार्थ औलिया से ऑनलाइन प्राप्त की और सभी साधकों ने अहोभाव प्रकट किया।
ओशोधारा ने नया कीर्तिमान स्थापित किया। केंद्रीय संयोजक आचार्य दर्शन ने समर्थगुरु जी के प्रति आभार प्रकट किया।