देखो आ गए कृष्ण मुरार, ब्रज की कुंज गलियन में

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

रसिया का रस…… बंधक बने दर्शक।

कुरुक्षेत्र, 27 अक्टूबर : यह शायद किसी की कल्पना में नहीं था कि डिजीटल मनोरंजन युग के युवाओं को प्राचीन हरियाणवी लोक नृत्य इतना भाएगा कि वो एक पल के लिए भी पूरे कार्यक्रम अपनी सीट से नहीं उठे। रविवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे रत्नावली महोत्सव में यह दृश्य देखने को मिला। कई युवा दर्शकों ने कहा कि उन्होंने रसिया नृत्य का रस पहली बार लिया है। उन्हें इसके आगे सारे मनोरंजन के साधन फीके लगे क्योंकि इसमें दर्शकों को उर्जा से भरने की गजब की शक्ति है।
यूं तो विभिन्न विधाओं में दर्शक अच्छी संख्या में पहंुचे पर आडिटोरियम में रसिया नृत्य देखने के लिए तो इतनी भीड़ उमड़ी की बहुत से दर्शकों ने सीट न मिलने पर खड़े होकर कार्यक्रम का पूरा आनंद लिया। समूह नृत्य रासिया प्रतियोगिता में कलाकारों ने शानदार प्रदर्शन और जोश से सभी का दिल जीत लिया। रसिया, जो लोक परंपरा से गहराई से जुड़ी है, अपनी भावपूर्ण धुनों और ऊर्जावान नृत्य से संगीत, संस्कृति और कहानी को एक साथ जोड़ती है। प्रतियोगिता का उत्साह इतना जबरदस्त था कि न सिर्फ प्रतिभागी बल्कि दर्शक भी ताल और संगीत पर झूम उठे। पूरे ऑडिटोरियम में जोश का माहौल था, और लोग अपने आप को संगीत की धुन पर थिरकने से नहीं रोक पाए। प्रतियोगिता में आईबी (पीजी) कॉलेज पानीपत की टीम ने गौरी मत ना जावे पीहर म तेरी करदू मन की पूरी, डीएवी कॉलेज अंबाला सिटी की टीम ने थारे कटे धरे अमरूद मसालो, गवर्नमेंट कॉलेज फार गर्ल्स पलवल की टीम ने बलम इब थारे मारे बीच थाडी हो तकरार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की टीम ने देखो आ गए कृष्ण मुरार, ब्रज की कुंज गलियन में, एसडी (पीजी) कॉलेज पानीपत की टीम ने मैं दूध बिलोवन जांउ, मेरे संग चले नंदलाला, आर्य (पीजी) कॉलेज पानीपत की टीम ने होली खेलन आयो श्याम, बृज म हो गयो रसिया, गवर्नमेंट कॉलेज जींद, आरकेएसडी (पीजी) कॉलेज कैथल, एसए जैन (पीजी) कॉलेज अंबाला सिटी की टीम ने सब जन मोह लियो महाराज, के प्रतिभागियों रासिया की अपनी अनूठी शैली और प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम लोक परंपराओं को जीवित रखते हैं और युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। रत्नावली महोत्सव कलाकारों और प्रदर्शनकारियों के लिए एक जीवंत मंच बना हुआ है, और ऐसी प्रतियोगिताएं मनोरंजन, प्रतिभा और परंपरा का सुंदर संगम प्रस्तुत करती हैं।

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