दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा विद्यार्थियों में नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए एक सेमिनार का किया गया आयोजन

फिरोजपुर 04 नवंबर {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, शिमला शाखा के द्वारा विद्यार्थियों में नशे के खिलाफ जागरुकता फैलाने के लिए एक सेमीनार का आयोजन मॉर्डन नर्सिंग कॉलेज शिमला में किया गया। यह कार्यशाला संस्थान के नशा उन्मूलन कार्यक्रम ‘बोध’ के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश में अभी हाल ही में आरम्भ की गई मुहिम ‘संकल्प’ के तहत आयोजित की गई। इसमें दिव्य गुरु सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी डॉ. सर्वेश्वर जी ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि आज नशे की समस्या सुरसा के मुख की भांति बढ़ती ही चली जा रही है। जिसमें देश और प्रदेश के युवा मदोन्मत्त हुए अपने जीवन को पतन की गहरी खाई में धकेलते जा रहे हैं। देश की जवानी, जिसके कन्धों पर देश का भविष्य खड़ा होता है, आज नशे की गंदी नालियों में धँस रही है। जिसने भविष्य को नूतन राह दिखानी है, वो युवा स्वयं ही राह भटक कर लड़खड़ा रहा है। अगर ऐसा ही हाल रहा तो भारत देश का भविष्य अंधकार में डूब जाएगा।
स्वामी जी ने बताया कि शोध सिद्ध करते हैं कि एक सिगरेट हमारे जीवन के 11 मिनट कम कर देता है। और जो लोग चेन स्मोकर होते हैं, वह कैसे अपनी ही अमूल्य ज़िंदगी को सिगरेट के धुएं में स्वाहा कर देते हैं। ये तो वहीं बात हुई, जिस डाल पर बैठे हैं, उसे ही काटने की मूर्खता करते जाना। ये मूर्खता नहीं तो और क्या है कि सिगरेट, तंबाकू के पैक पर ये लिखा होने के बावजूद कि ‘इसे पीने से कैंसर होता है’, हम धड़ल्ले से इन सबका सेवन करते जा रहे हैं। स्टेटस सिंबल, पियर प्रेशर, स्ट्रेस से छुटकारा पाने का तरीका, मौज-मस्ती इत्यादि की आड़ में लोग चरस, गांजा, स्मैक, चिट्टा जैसा नशा एक बार शुरू तो कर देते हैं। लेकिन फिर धीरे-धीरे वे कब इसकी गिरफ्त के गुलाम बन जाते हैं, पता ही नही चलता। और फिर एक ऐसी अवस्था आती है जब व्यक्ति नशे को नहीं भोगता, नशा उसको भोगने लग जाता है। फिर व्यक्ति नशा छोड़ना भी चाहता है पर नशा उसे नहीं छोड़ता। पुनर्वास केंद्रों का सहारा लेने वाले भी इलाज के बाद पुनः नशा करना प्रारम्भ कर देते हैं। ऐसे में इस समस्या का हल क्या है?
स्वामी जी ने बताया कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में व्यक्ति को मन की इस वृत्ति से लड़ने के लिए आत्मज्ञान का सशक्त आधार दिया जाता है। ब्रह्मज्ञान के प्रकाश से युक्त हुआ युवा, मन की गुलामी की हर ज़ंज़ीर तोड़ कर अध्यात्म के उन्नत व विस्तृत आकाश में उन्मुक्त उड़ान भरता है। ये ही होता है बोध व्यक्ति के आत्म तत्व का, जो उसे नशे के चंगुल से मुक्त कर दिव्यता के पथ की ओर अग्रसर करता है। और ये ही है नशे की समस्या का स्थायी समाधान। कार्यक्रम में स्वामी धीरानंद जी ने उपस्थित सभी छात्र छात्राओं को आजीवन नशा ना करने की शपथ भी दिलवाई। जीत सिंह राणा जी ने संस्थान को कार्यक्रम करने के लिए धन्यवाद दिया।

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