हरियाणा के इतिहास में पहली बार फेफड़े के मरीजों सिलिकॉन स्टेंट डालकर किया गया इलाज।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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मरीज स्वस्थ,फेफड़े संबंधी परेशानी का हुआ समाधान।
शांति देवी जी.आई. इंस्टीट्यूट में प्रदेश में पहली बार हुआ इस तरह का सफल इलाज।
हिसार 14 नवंबर : स्थानीय डाबड़ा चौक स्थित शांति देवी जी.आई. इंस्टीट्यूट हस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों डॉ. कपिल जैन की देखरेख में डॉ. संदीप भादू सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ ने दो मरीजों के फेफड़ों में सिलिकॉन स्टेंट (छल्ले) डालकर इलाज की पूरे हरियाणा प्रदेश में पहली उपलब्धि हासिल की है। शांति देवी जी आई इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. कपिल जैन ने हस्पताल के प्रांगण में पत्रकार वार्ता में जानकारी सांझा करते हुए कहा बताया कि उक्त ऑपरेशन डॉ. संदीप भादू के अथक प्रयासों से सफल हुआ। उन्होंने बताया कि दो मरीज गुरजीत सिंह रतिया, प्रीतम फतेहाबाद से अस्पताल आए जिन्हें खांसी व अन्य परेशानी थी। जांच करने के पश्चात मालूम हुआ कि उनकी सांस की नली व खाने की नली में छेद है। इससे मरीज जो भी खा रहा था वह फेफड़े में जा रहा है जिसे रोकने के लिए डॉ. संदीप भादू ने सांस नली में सिलिकॉन स्टेंट (छल्ला) डालने का निर्णय लिया और हरियाणा में पहली बार इस प्रकार के इलाज को अंजाम दिया गया। अब मरीजों की तबीयत में 90 प्रतिशत तक सुधार है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इन ऑपरेशन्स में 45 से 75 मिनट का समय लगा।
डॉ. कपिल जैन व डॉ. संदीप भादू ने बताया कि उक्त मरीजों के फेफड़ों में स्टंट छल्ला डालकर उन्हें नया जीवन प्रदान किया किया। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का नाम टरकियो इसोफेजिल फिस्टुला है यह रोग सांस की नली और खाने की नली में एक असामान्य संबंध की वजह होता है। इसके लक्षण खाना खाते समय खांसी आना, बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना, सांस लेने में दिक्कत होना आदि है। उन्होंने बताया कि इसके दो ही विकल्प थे या तो मरीजों की सर्जरी की जाती या फिर उन्हें स्टंट डालकर इस बीमारी से निजात दिलाई जाती। हमने दोनों मरीजों को स्टेंट (छल्ला) डालकर उनका इलाज किया जो अपने आप में एक उदाहरण है। इस अवसर पर डॉ. मेधा जैन, डॉ. रचना, डॉ. आकाश, डॉ. अंकुर साहू, चिमन कंबोज व अजीत लांबा आदि मौजूद रहे।
डॉ. कपिल जैन व डॉ. संदीप भादू पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए।