वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
ब्रह्मचारियों ने किया दीप दान तथा आरती।
कुरुक्षेत्र, 15 नवम्बर : ब्रह्मसरोवर के तट स्थित श्री जयराम विद्यापीठ में जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विद्वान ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया गया व भंडारे का आयोजन किया गया। अनुष्ठान के साथ ही यजमानों द्वारा दीपदान व आरती की गई। इस मौके पर श्रद्धालु तथा ट्रस्टी भी मौजूद रहे। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि कार्तिक पूर्णिमा सनातन धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार किया था। इसी कारण से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र वासियों के लिए तो कार्तिक पूर्णिमा वैसे भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी स्थान पर भगवान श्री कृष्ण ने पुरी सृष्टि को गीता का संदेश दिया और अगले माह कुरुक्षेत्र में भव्य गीता जन्मोत्सव आयोजित किया जायेगा। ब्रह्मचारी ने कार्तिक पूजन का आगे महत्व बताया कि इस दिन पवित्र तीर्थ तथा नदी पर स्नान कर दीपदान, भगवान की पूजा, आरती, हवन तथा दान का बहुत महत्व है। उन्होंने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही संध्या काल में भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान के बाद दीप दान का पुण्य फल दस यज्ञों के बराबर होता है। कार्तिक मास वैसे भी बहुत पुण्य प्रदान करने वाला मास है।
जयराम विद्यापीठ में ब्रह्मचारी पूजन व जाप करते हुए ।