वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
20 राज्यों के 155 नवाचारी, कर्मठ और कर्तव्यनिष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया।
कुरुक्षेत्र, 17 नवम्बर : कुरुक्षेत्र में राष्ट्रीय शैक्षिक विचार गोष्ठी एवं राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन शिक्षा सागर फाउंडेशन के तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर बी.वी. रमण रेड्डी निदेशक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र व मदन मोहन छाबड़ा चेयरमैन 48 कोस तीर्थ कमेटी कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड रहे।
शिक्षा सागर फाउंडेशन के संस्थापक राज्य शिक्षक पुरस्कार विजेता शिक्षक डा. सुरेश राणा ने बताया कि गीत स्थली कुरुक्षेत्र में 20 राज्यों के 155 नवाचारी, कर्मठ और कर्तव्यनिष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया। विभिन्न प्रदेशों ने आने वाले शिक्षकों ने उनके द्वारा किए गए श्रेष्ठ शैक्षणिक कार्यों, सहायक शिक्षण सामग्री, शिक्षा में नवाचार, ई-अधिगम, बेस्ट प्रैक्टिस, आनंददायक शिक्षण गतिविधियों को अन्य शिक्षकों के साथ साझा किया।कार्यक्रम में नई शिक्षा नीति, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या, शिक्षण में चुनौतियां, विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे शैक्षिक कार्यक्रमों पर विचार विमर्श किया गया।
प्रो. बी.वी. रमण रेड्डी ने कहा कि यह समारोह हरियाणा के लिए एक गौरवशाली अवसर है, इस शैक्षिक समागम से शिक्षकों को नवीन ऊर्जा मिलेगी। शिक्षा का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है। शिक्षा न केवल व्यक्ति के मानसिक और बौद्धिक विकास को बढ़ाती है, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति में भी अहम भूमिका निभाती है। शिक्षा वह माध्यम है, जिससे व्यक्ति ज्ञान, मूल्य और कौशल प्राप्त करता है, जो हर इंसान को आत्मनिर्भर और समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बनाता है। शिक्षा न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करती है, बल्कि जीवन में सही निर्णय लेने और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता भी विकसित करती है। उन्होंने नई शिक्षा नीति की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षक को अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए।
मदन मोहन छाबड़ा ने अपने सम्बोधन में कहा कि धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में यह शैक्षिक समागम अनूठा आयोजन है। जिसमें बेहतर शिक्षा, नवाचार, शिक्षण गतिविधि आदि शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। राष्ट्र के विकास के संदर्भ में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक शिक्षित समाज ही नए विचारों, नवाचारों और तकनीकी विकास को प्रोत्साहन देता है, जो किसी भी देश की प्रगति के लिए आवश्यक है। शिक्षक को भी अपने शिक्षण कार्य को रुचिकर बनाने के लिए नित नए नवाचार प्रयोग में लाने चाहिए।
विशिष्ट अतिथि डा. सी.आर. ड्रोलिया चेयरमैन साइकोलॉजी विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र ने कहा कि शिक्षा विद्यार्थी केंद्रित होनी चाहिए।अभिभावक को अपनी इच्छाएं और सपने बच्चों पर नहीं थोपने चाहिए।उन्हें उनकी रुचि और क्षमता के अनुरूप ही कैरियर चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करनी चाहिए।शिक्षक को विद्यार्थियों के साथ दोस्ताना व्यवहार करना चाहिए।
कार्यक्रम संयोजिका सुशीला जांगड़ा ने उपस्थित शिक्षकों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में तेलंगाना, महाराष्ट्र, छतीसगढ़, बिहार, उत्तरप्रदेश, पंजाब, मध्यप्रदेश, उतराखण्ड, केरल, नागालैंड, कर्नाटक, झारखण्ड आदि 20 प्रदेश के शिक्षक शामिल रहे।
इस शैक्षिक महाकुम्भ के सफल आयोजन हेतु आयोजन समिति के प्रमुख सदस्य कार्यक्रम संयोजिका सुशीला जांगडा, डा. सुरेश राणा ऊषा रानी, अनिल रोहिल्ला, प्रितिका जाखड़, पवन मित्तल, निशा राणा, जसबीर सिंह, सुभाष शास्त्री, जितेंद्र राठौड़, अरुण राणा, धर्मचन्द शर्मा, रणजीत फुलिया आदि शामिल रहे।
कार्यक्रम में उपस्थिति एवं मंच पर अतिथि गण।