वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
केयू इको क्लब व एसएफडी के संयुक्त तत्वावधान में रानी लक्ष्मी बाई के जन्मदिवस पर कार्यक्रम आयोजित।
कुरुक्षेत्र, 20 नवंबर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी ने कहा है कि 1857 में हुए स्वतंत्रता संग्राम में वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई का अद्वितीय योगदान रहा। झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने स्वतंत्रता संग्राम में लड़ाई लड़कर इतिहास के पन्नों पर अपनी विजयगाथा लिखकर समाज में महिलाओं के लिए आदर्श प्रेरणा स्रोत स्थापित किया। जिसके कारण उनकी वीरता के किस्से आज भी याद किए जाते हैं। उन्होंने यह उद्गार कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में केयू इको क्लब व एसएफडी के संयुक्त तत्वावधान में रानी लक्ष्मी बाई के जन्मदिवस के अवसर पर केयू स्थित संग्रहालय पहली जंग-ए-आज़ादी 1857 में ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत का पारिस्थितिक परिदृश्य’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए।
गीता निकेतन आवासीय विद्यालय, कुरुक्षेत्र के सीनियर लाइब्रेरियन डॉ. संजीव धीमान ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि रानी लक्ष्मी बाई ने प्रथम स्वाधीनता संग्राम में जीवन की परिस्थितियों से ऊपर उठकर देश हित में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। इसलिए आम नागरिक को भी उनसे प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। स्टूडेंट्स फॉर डेवलेपमेंट के कोऑर्डिनेटर सुखबीर सिंह ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि वीरांगना लक्ष्मी बाई ने समाज में महिलाओं के प्रति अबला दृष्टिकोण को बदलने का काम किया।
कार्यक्रम में डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. मीनाक्षी सुहाग, शोधार्थी मुनेश, नेहा गर्ग, पुष्पा व पूजा ने आयोजन कमेटी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मौके पर डॉ. प्रिया शर्मा, डॉ. कुलदीप मेहंदीरत्ता, डॉ. प्रवेश सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।