हरिद्वार महाकुंभ 2021
12 अप्रैल का स्नान 12 गुना होगा फलदायी, ये स्नान का शुभ मुहूर्त।
राज्य ब्यूरो उत्तराखंड
साग़र मलिक
*सोमवार को अमावस्या होने पर सोमवती अमावस्या कहते हैं,कुंभ साल में इसकी महत्व अधिक हो जाती है।
12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या का शाही स्नान है। सोमवती अमावस्या पितृ कार्यों के साथ भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करने के लिए महत्वपूर्ण होती है। सोमवती अमावस्या पर स्नान करने से 12 गुना अधिक फल प्राप्त होता है। इसलिए 12 अप्रैल को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। मेला पुलिस-प्रशासन इसकी तैयारियों में जुट गया है। प्राच्य विद्या सोसायटी के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक शनिवार को जब अमावस्या होती ही तो शनिश्चरी अमावस्या कही जाती है। ये पितृ कार्यों के लिए होती है। मंगलवार को अमावस्या होने पर उसे भौमवती अमावस्या कहते हैं और इसमें कठोर कार्य किए जाते हैं। लेकिन सोमवार को अमावस्या होने पर सोमवती अमावस्या कहते हैं। कुंभ साल में इसकी महत्ता अधिक हो जाती है। ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी बताते हैं सोमवती अमावस्या में स्नान और दान करने से समस्त पापों का नाश होता है। साथ में प्रचुर मात्रा में लक्ष्मी प्रदान करता है। 12 अप्रैल इस संवत का आखिरी दिन है। इस दिन सोमवती अमावस्या पूर्व के कुंभ वर्षों में देखने को नहीं मिलती है। इस दिन किया दान, पीपल की परिक्रमा, लक्ष्मी प्रदान करने वाली होगी। इस दिन कुंभ लग्न में किया हुआ स्नान 12 गुना फल देगा और कुंभ लग्न सुबह चार बजे से पांच बजे तक होगा। इसके बाद दोपहर 12 बजे से 12.45 भी स्नान किया जा सकता है।
12 और 14 अप्रैल के शाही स्नान पर आम श्रद्धालु हरकी पैड़ी के घाटों पर डुबकी नहीं लगा पाएंगे। हरकी पैड़ी पर सिर्फ अखाड़ों के संतों का स्नान होगा। बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को पार्किंग स्थलों के नजदीक बने घाटों पर ही स्नान करवाया जाएगा।
शाही स्नान पर श्रद्धालुओं से कोविड नियमों का पालन कराया जाएगा। हरकी पैड़ी क्षेत्र संतों के स्नान के लिए आरक्षित होगा। वहां कोई भी आम आदमी स्नान नहीं कर सकेगा। बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग बनाई गई हैं।
दिल्ली, मुरादाबाद, बिजनौर, नैनीताल से आने वाले वाहनों की पार्किंग चंडी पुल के पास होगी। जबकि देहरादून से आने वालों की पार्किंग दूधाधारी के पास बनाई है। जम्मू, हरियाणा और पंजाब से आने वाले वाहन भगवानपुर से इमलीखेड़ा होकर बीएचईएल पहुंचेंगे और वहीं पार्किंग में खड़े होंगे। वाहन पार्किंगों के नजदीक ही घाट हैं और श्रद्धालु उनमें स्नान करेंगे।
जिन लोगों को वाया हरिद्वार होकर अपने गंतव्य स्थानों के लिए जाना है, वह दस से 15 अप्रैल तक वैकल्पिक मार्ग अपनाएं। हरिद्वार आने पर फंस जाएंगे।
देहरादून और मसूरी के लिए जाना है तो वाया मुजफ्फरनगर से देवबंद होकर छुटमलपुर होकर जाएं। जिनको गढ़वाल जाना है वह ऋषिकेश होकर जाएं। जिनको देहरादून से नैनीताल जाना है वह भी देहरादून से देवबंद मुजफ्फरनगर से बिजनौर होकर जाएं।