संगम काव्य लहरी पुस्तक में मिलती है राष्ट्रीय भावना की अनुपम व्याख्या : श्रीपाल शर्मा

संगम काव्य लहरी पुस्तक में मिलती है राष्ट्रीय भावना की अनुपम व्याख्या : श्रीपाल शर्मा
दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)
बरेली : रामपुर स्थित माया देवी धर्मशाला में पल्लव काव्य मंच के तत्वावधान में आयोजित भव्य समारोह के बीच रामपुर के ही शिव कुमार चंदन द्वारा रचित पुस्तक संगम काव्य लहरी का लोकार्पण हुआ, जिसका शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन करके सोमदत्त व्यास, आचार्य देवेंद्र देव, हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष तथा गाफिल स्वामी ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में हल्द्वानी से आईं कवयित्री गीता मिश्रा गीत द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई, तत्पश्चात अलीगढ़ से आए गाफिल स्वामी, बरेली से आए आचार्य देवेंद्र देव, रणधीर प्रसाद गौड़, रामप्रकाश सिंह ओज, रामकुमार भारद्वाज, बिसौली से सतीश चन्द्र सुधांशु, बहजोई से दीपक गोस्वामी चिराग, गाजियाबाद से मान सिंह बघेल, पीलीभीत से सत्यपाल सजग, पंवासा से ज्ञानप्रकाश उपाध्याय, चंदौसी से मुकेश दीक्षित, बदायूं से सुखपाल सिंह गौर सहित कई स्थानीय साहित्यकारों ने पुस्तक पर चर्चा की।
मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान के भरतपुर से आए वरिष्ठ गीतकार सोमनाथ व्यास ने चर्चा करते हुए कहा कि गीत गलियारा खण्ड में कवि ने अद्वितीय काव्य रचना द्वारा जीवन प्रेरक, धर्म, संस्कृति, आध्यात्म तथा रीतियों का सटीक व्याख्यात्मक चित्रण किया है। साथ ही प्रेम-आसक्ति, करूणा-विराग आदि भावों का सजीव वर्णन किया है।
बागपत से उपस्थित श्रीपाल शर्मा ईदरीशपुरी ने कहा कि संगम काव्य लहरी पुस्तक में कवि ने प्रेम, सौहार्द ,अनुराग, आसक्ति की बड़ी अनुपम व्याख्या, अपनी काव्यात्मक पंक्तियों में की है। उन्होंने भ्रष्टाचार रहित राष्ट्र, स्वच्छ राजनीति और राजनेताओं के स्वच्छ एवं ईमानदार आचरण की ओर भी इशारा किया है।
बरेली से आए कवि हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष ने कहा कि कवि श्रेष्ठ चंदन जी के काव्य संग्रह में राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत भावों को आसानी से देखा जा सकता है, अपने गीतों एवं मुक्तकों में उन्होंने पर्यावरण की सुरक्षा और संवर्धन तथा प्रकृति संतुलन पर बल दिया है।
संभल से उपस्थित समीक्षक अतुल कुमार शर्मा ने कहा कि वरिष्ठ कवि शिव कुमार चंदन द्वारा रचित पुस्तक संगम काव्य लहरी में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को स्पर्श करने की सामर्थ्य है जबकि उनके मुक्तकों की आधारशिला इतनी मजबूत है कि शब्दों को तोड़ने या कंठ में दबाने की कहीं भी आवश्यकता महसूस नहीं होती।
ज्ञात हो कि शिवकुमार चंदन की इससे पूर्व सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जो अलग-अलग विधाओं में हैं,साथ ही नेपाल देश में भी अपनी काव्य प्रस्तुति दे चुके हैं। इसके लिए उन्हें कई साहित्यिक संस्थाओं ने सम्मानित किया है।
इस अवसर पर ओंकार सिंह विवेक,पतराम सिंह, विनोद शर्मा, रमेश चंद्र जैन सेठी, रामसागर शर्मा,अनमोल रागिनी चुनमुन, डॉ० प्रीति अग्रवाल, वर्षा शर्मा, सुरेंद्र अश्क रामपुरी, राजू शर्मा, सुमित सिंह मीत, आयुष शर्मा, गौरव नायक,अभि शर्मा, प्रवीण भांडा, अनिल अग्रवाल, सीताराम शर्मा, विपिन शर्मा आदि लोग मौजूद रहे।
अध्यक्षता रणधीर प्रसाद गौड़ ने तथा राजवीर सिंह राज व प्रदीप राजपूत माहिर ने किया।