गुरुकुल कुरुक्षेत्र का 113वाँ वार्षिक महोत्सवराज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किया विज्ञान एवं ललित कला प्रदर्शनी का उद्घाटन

वैदिक संस्कारों से होता है उत्तम मानव का निर्माण।

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 15 अक्टूबर : गुरुकुल कुरुक्षेत्र का दो दिवसीय वार्षिकोत्सव समारोह बड़े उत्साह, श्रद्धा और वैदिक मूल्यों तथा आधुनिक शिक्षा के प्रति समर्पण की भावना के साथ मनाया गया। समारोह का शुभारंभ 15 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे एक भव्य विज्ञान एवं ललित कला प्रदर्शनी से हुआ, जिसमें विद्यार्थियों ने भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान के साथ-साथ अपनी कल्पनाशक्ति और सृजनशीलता को दर्शाने वाली सुंदर कलाकृतियाँ प्रदर्शित कीं।
प्रदर्शनी का उद्घाटन माननीय आचार्य देवव्रत राज्यपाल गुजरात एवं महाराष्ट्र के कर-कमलों द्वारा किया गया जिसका सभी विशिष्ट अतिथियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया जिससे पूरे समारोह में पवित्रता और उत्साह का वातावरण बन गया।
गुरुकुल निदेशक ब्रिगेडियर (डॉ.) प्रवीण कुमार ने कार्यक्रम का परिचय देते हुए संस्थान की उस शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला, जिसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नैतिक मूल्यों का सुंदर समन्वय किया गया है। मंच संचालन मुख्य संरक्षक संजीव कुमार आर्य ने अत्यंत कुशलता और सौम्यता के साथ किया।
कार्यक्रम का वातावरण तब और अधिक प्रेरणादायक बन गया जब माननीय देशबंधु आर्य जी ने आर्य समाज का ध्वज फहराकर समारोह के औपचारिक चरण की शुरुआत की। वैदिक मंत्रोच्चारण से पूरा परिसर आध्यात्मिकता और सकारात्मक ऊर्जा से भर गया।
आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के महामंत्री श्री उमेद शर्मा जी ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में विद्यार्थियों को बताया कि वैदिक संस्कृति ही सच्चे ज्ञान और शिक्षा का आधार है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल शैक्षणिक सफलता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि चरित्र निर्माण, अनुशासन और सेवा भावना का विकास भी आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे महर्षि दयानंद सरस्वती के आदर्शों पर चलें और सत्य, धर्म तथा सादगी का मार्ग अपनाएँ।
उन्होंने आगे कहा कि विद्यार्थियों को आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा के साथ-साथ प्राचीन वैदिक ज्ञान को भी अपनाना चाहिए, क्योंकि दोनों का समन्वय ही देश के नैतिक और बौद्धिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उनका भाषण अत्यंत प्रेरणादायी रहा, जिसने विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों के हृदय में नई ऊर्जा और विचारों की ज्योति प्रज्वलित की।
गुरुकुल के अध्यक्ष राजकुमार गर्ग ने भी इस अवसर पर उपस्थित रहकर विद्यार्थियों की मेहनत, प्रतिभा और रचनात्मकता की सराहना की। समारोह के अंत में माननीय देशबंधु आर्य ने अपने प्रेरणादायक और मार्गदर्शक शब्दों से विद्यार्थियों को उत्साहित किया। उन्होंने उन्हें आर्य समाज के आदर्शों पर चलने और समाज की उन्नति में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रेरित किया। वार्षिकोत्सव का पहला दिन भारत की गौरवशाली वैदिक परंपरा और युवा पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के विश्वास से परिपूर्ण वातावरण में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
विदित हो कि 16 अक्तूबर को समारोह में पंजाब के राज्यपाल माननीय गुलाब चन्द कटारिया जी मुख्य अतिथि के रूप में पधार रहे हैं जिसकी अध्यक्षता माननीय राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी करेंगे। इस दौरान गुरुकुल के ब्रह्मचारियों द्वारा अद्भुत कौशल प्रदर्शन किया जाएगा।