कार्तिक पूर्णमासी आत्म कल्याण और साधना हेतु शुभ अवसर है : आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक समर्थगुरु धारा हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर और श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के पीठाधीश ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने भक्तों को बताया कि बुधवार,5 नवंबर 2025, अश्विनी नक्षत्र, सिद्धि योग और मेष राशि के चन्द्रमा सहित दान पुण्य हेतु कार्तिक मास की पूर्णिमा मनाई जाएगीI इस पूर्णिमा का विशेष महत्व है क्योंकि श्री गुरुनानक देव की जयंती भी है। इस कारण ये दिन सिक्ख धर्म के लोगों के लिए बहुत विशेष महत्त्वपूर्ण है। भक्तों के द्वारा भगवान श्री सत्यनारायण जी का व्रत किया जायेगा।
श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली कुरुक्षेत्र के पुजारी कार्तिक मास की कथा और यज्ञ प्रातः 5 बजे भक्तों के साथ करेंगे।
समर्थगुरु धाम, मुरथल के संस्थापक आदरणीय समर्थगुरू सिद्धार्थ औलिया ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि अतीत या भविष्य में अथवा समय में जीना तुम्हारी नियति है। वर्तमान में जीना तुम्हारा चुनाव है। संसार में जीना तुम्हारी नियति है। सुमिरन में जीना तुम्हारा चुनाव है। दुःख में जीना तुम्हारी नियति है। आनंद में जीना तुम्हारा चुनाव है। सिद्धार्थ ध्यान योग सभी साधकों के लिए अति आवश्यक है। जिसे ऑनलाइन या समर्थगुरू धाम मुरथल में आप परिवार सहित कर सकते है।
विशेष सुमित्रा पाहवा, शिमला धीमान, पायल सैनी,ऊषा शर्मा,आशा कवात्रा, निशा अरोड़ा, अनु पाहवा, सीमा, कोमल मेहरा, संगीता तलवाड़ और भक्त सुशील तलवाड़ आदि भक्तों ने ध्यान, भगवान संकीर्तन और आरती की I पूजा अर्चना के बाद सभी भक्तों ने प्रसाद श्रद्धा अनुसार लिया।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व : पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा और देव दीपावली भी कहते हैं। प्राचीन समय में इस तिथि पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था, इस कारण इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार भी लिया था। इस तिथि के संबंध में एक अन्य मान्यता ये भी है कि इस दिन देवता की दीपावली होती है। इसलिए इसे देव दीपावली भी कहते हैं। इस दिन कार्तिक मास के स्नान समाप्त हो जाएंगे। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र तीर्थ , गंगा स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, यज्ञ और दान करने का विशेष महत्व है।
कार्तिक पूर्णिमा को श्रद्धा विश्वास अनुसार यह शुभ कार्य करने चाहिए : भगवान विष्णु के लिए सत्यनारायण भगवान की कथा करनी चाहिए। यज्ञ के उपरान्त ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं। वस्त्र,फल आदि के साथ दक्षिणा अवश्य दे।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद दीपदान, पूजा, आरती और दान किया जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर गरीबों को फल, अनाज, दाल, चावल, गर्म वस्त्र आदि चीजों का दान करना चाहिए।
कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठना चाहिए। पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का ध्यान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
शिवलिंग पर जल चढ़ाकर ऊँ शिवाय: नम: मंत्र का जाप करें। कपूर या दीपक जलाकर आरती करें। भगवान् शिवजी के साथ ही गणेशजी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की भी विशेष पूजा करें। भगवान् गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू श्रद्धा भक्ति पूर्वक समर्पित कीजियेगा।
इस पूर्णिमा पर आत्म कल्याण हेतु साधना कीजियेगा। भगवान को श्रद्धा भक्ति पूर्वक याद करें और भगवान् का नाम संकीर्तन करें।
7.आत्म परिचय के साथ ओंकार, आत्मा और परमात्मा का ध्यान अवश्य कीजियेगा। यदि आपके जीवन में पूर्ण सदगुरु है तो उनके द्वारा बताई साधना श्रद्धा से कीजिए जिससे आत्म कल्याण होता है। अपने ईष्ट देव और सदगुरु का ध्यान रात्रि में चन्द्रमा दर्शन के साथ करे।




