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मोह माया में फंसा मानव परमात्मा के वास्तविक रूप को नहीं पहचानता लेकिन परमात्मा प्राणी के हर भाव जानते हैं : कृष्ण चंद्र ठाकुर

परमात्मा के साथ प्राणी कोई भी संबंध बना सकता है : कृष्ण चंद्र ठाकुर।
श्री जयराम विद्यापीठ में तीसरे दिन की कथा से पहले हुआ श्री हनुमान चालीसा पाठ।

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 27 नवम्बर : गीता जयंती महोत्सव 2025 के अवसर पर ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित श्री जयराम विद्यापीठ में देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में आयोजित भागवत पुराण की कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से विख्यात कथावाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर ने संगीतमयी शैली में कहा कि परमात्मा के साथ प्राणी कोई भी संबंध बना सकता है। परमात्मा प्राणी के हर भाव को समझते है, परंतु वह अपने ही मोह माया के जाल में परमात्मा के वास्तविक रूप को नहीं पहचानता है। कथा के शुभारम्भ से पूर्व व्यासपीठ का पूजन किया गया। इस मौके पर परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी भी मौजूद रहे। कृष्ण चंद्र ठाकुर ने कथा में हिरण्यकश्यप के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि ख्याति के साथ मानव का लोभ बढ़ता जाता है और इसी लोभ और लालच के कारण मानव विनाश के रास्ते पर चल निकलता है। उन्होंने कथा में बताया कि एक बार पृथ्वी को भी अभिमान हो गया था, लेकिन परमात्मा ने अपनी लीला से पृथ्वी को उसके अभिमान का एहसास कराया और इसी लीला में पृथ्वी को वृंदावन के दर्शन हुए। कथावाचक कृष्ण चंद्र ठाकुर ने कहा कि पूरी धरती पर प्रलय होती है, लेकिन वृंदावन में नहीं, वृंदावन न तो धाम है और न ही तीर्थ, लेकिन वृंदावन परमात्मा का स्वयं का अपना घर है। वृंदावन के वास्तविक दर्शन आध्यात्मिक दृष्टि से ही होते हैं। आधुनिक युग में भी वृंदावन में परमात्मा के दर्शन है। उन्होंने बताया कि भागवत में बताया गया है कि मनुष्य के पुत्र का जिस प्रकार होना आवश्यक है, उसी प्रकार पुत्री का होना भी जरूरी है। पुत्री के पालन पोषण से मनुष्य को अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। कृष्ण चंद्र ठाकुर ने बताया कि हमारे वेद पुराण भी इस बात के गवाह हैं कि प्राचीन वैदिक काल में नारियां भी विदुषी होती थी। उन्होने बताया कि मनुष्य जीवन में साधना आवश्यक है। साधना से ही चिंतन का निर्माण होता है, चिंतन से प्राणी वंदनीय होता है, साधना से प्राप्त किए गए धन के समान कोई अन्य धन नहीं है। उन्होने कथा में इस प्रसंग में रावण तथा भगवान शंकर के संबंधों का भी उल्लेख किया। संगीतमयी कथा में श्रद्धालु बार-बार नाचने को मजबूर हुए। इस अवसर पर कथा सुनने पूर्व विधायक एवं कांग्रेस जिला अध्यक्ष मेवा राम भी कथा सुनने पहुंचे। इस मौके पर एसएन गुप्ता, राजेंद्र सिंघल, कुलवंत सैनी, ईश्वर गुप्ता, टेक सिंह, राजेश सिंगला, केके कौशिक, पवन गर्ग, यशपाल राणा, सुरेंद्र फौजी, पूर्व सरपंच राजेश शर्मा, सुनील गौरी, विवेक भारद्वाज डब्बू, सुरेश मित्तल, हरप्रीत सिंह चीमा, संगीता शर्मा, संतोष यादव, देवी शर्मा इत्यादि भी मौजूद रहे।
श्री जयराम विद्यापीठ में व्यासपीठ पर कथावाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर एवं कथा श्रवण करते हुए श्रद्धालु।

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