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कलयुग में अत्यंत दुर्लभ है श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता : संतश्री प्रेमधन लालनजी महाराज

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक दूरभाष – 9416191877
ब्यूरो चीफ – डॉ. गोपाल चतुर्वेदी।

वृन्दावन : कालीदह क्षेत्र स्थित राधा कृपा आश्रम में लाला सट्टनलाल अग्रवाल परिवार (मुम्बई) के द्वारा ठाकुरश्री ब्रजवल्लभ लाल महाराज एवं सद्गुरुश्री सन्त मां ब्रजदेवी जी के पावन सानिध्य में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के सातवें दिन सन्तश्री प्रेमधन लालनजी महाराज ने व्यास पीठ से अपनी सुमधुर वाणी के द्वारा समस्त भक्तों- श्रद्धालुओं को सुदामा चरित्र की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि कलयुग में भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता अत्यंत दुर्लभ है।ब्रह्मज्ञानी सुदामा ने दरिद्रता की सीमा पर जीवन व्यतीत करते हुए भी परब्रह्म परमात्मा से कुछ भी नहीं मांगा। परन्तु मित्रता निभाते हुए श्रीकृष्ण ने उन्हें तीनों लोक सौंप दिए।यही सच्ची मित्रता की पराकाष्ठा है।
पूज्य महाराजश्री ने कहा कि जीवन में सत्संग का बड़ा ही महत्व है। भागवत रूपी नौका में बैठकर प्राणी संसार रूपी भवसागर से पार हो जाता है।इसके श्रवण मात्र से मानव के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।भगवान की भक्ति से ही जीव का कल्याण होता है।साथ ही जन्म व मृत्यु के भय का नाश हो जाता है।
महोत्सव में पधारे पुराणाचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि आप सभी बहुत भाग्यशाली हैं, जो कि ब्रज रसिक संत माता ब्रज देवीजी के दर्शन करते हुए और ब्रज के लाड़ले संतश्री लालनजी महाराज के मुख से श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा सुन रहे हैं।इसका तात्पर्य है कि आप श्रीराधा-कृष्ण के ही चरणों में बैठ कर ही कथा श्रवण कर रहे हैं।व्यास पीठ पर विराजमान व्यास के मुख से जो शब्द आप सुन रहे हैं, वो साक्षात् श्री ठाकुरजी के ही शब्द हैं।
इससे पूर्व प्रातःकाल संतश्री लालनजी महाराज के पावन सानिध्य में श्रीयमुना महारानी का चुनरी मनोरथ किया गया।साथ ही उनका वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन कर उनकी विशेष आरती की गई।
इस अवसर पर श्रीहित बड़ा रासमण्डल के श्रीमहंत लाड़िली शरण देवाचार्य महाराज, प्रख्यात सन्त बाबा सियाराम दास महाराज (गोवर्धन), राष्ट्रपति पुरुस्कार प्राप्त प्रख्यात रासाचार्य स्वामी फतेह कृष्ण शर्मा, प्रख्यात साहित्यकार “यूपी रत्न” डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, पण्डित रवि शर्मा, स्वामी राधाकांत शर्मा (छोटे स्वामी), कृष्णांशु शर्मा, प्रिया दासी, हरि दासी, मुख्य यजमान अशोक कुमार अग्रवाल, अरविंद अग्रवाल, अरुण अग्रवाल, दिव्याशु शर्मा, हिमांशु शर्मा, अदिति अग्रवाल आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। महोत्सव का समापन सन्त, विप्र, ब्रजवासी वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।जिसमें सैकड़ों व्यक्तियों को भोजन प्रसाद ग्रहण कराकर उन्हें ऊनी कम्बल, छतरी, शॉल एवं दक्षिणा आदि वितरित की गई।

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